चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ पालना गृह में पहली बार गूंजी नवजात की किलकारी, बच्चा मिला पूरी तरह स्वस्थ

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चित्तौड़गढ़ के पालना गृह में पहली बार किसी नवजात को छोड़ा गया। ‘लक्ष्य’ नामक इस बालक के आगमन से तीन साल पुराने प्रयास को मिला जीवन्त उद्देश्य। जानें पूरी कहानी।


👶 चित्तौड़गढ़ पालना गृह में पहली बार पहुंचा नवजात, 3 साल बाद पूरे हुए मानवता के ‘लक्ष्य’

चित्तौड़गढ़, जून 2025 – जिले के बाल किशोर गृह और बाल संप्रेषण गृह परिसर में बने पालना गृह में गुरुवार को पहली बार किसी नवजात की किलकारी गूंजी।
एक अज्ञात व्यक्ति ने 4 से 6 दिन के एक नवजात बालक को वहां बने पालने में छोड़ दिया।

📌 स्रोत: Mewar Malwa


⏰ गार्ड ने समय रहते बचाई जान

जैसे ही पालने में लगी घंटी बजी, वहां तैनात गार्ड रामस्वरूप तुरंत पहुंचा।

  • नवजात शॉल में लिपटा रो रहा था।
  • गार्ड ने तुरंत बाल कल्याण समिति अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल को सूचना दी।
  • बच्चा तुरंत जिला अस्पताल भेजा गया।

🏥 नवजात पूरी तरह स्वस्थ

डॉ. जयसिंह मीणा द्वारा किए गए मेडिकल परीक्षण में:

विवरणजानकारी
उम्रलगभग 4 से 6 दिन
वजन3.6 किलोग्राम
स्वास्थ्यपूरी तरह स्वस्थ

बच्चा अब सुरक्षित वातावरण में है और चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है।


🍼 पालना गृह: उद्देश्य अब जाकर हुआ पूर्ण

  • यह पालना गृह मार्च 2022 में शुरू हुआ था।
  • इसका उद्देश्य था कि कोई भी नवजात लावारिस न रहे और उसे सुरक्षित स्थान मिले।
  • अब तक जिला अस्पताल परिसर के पालना का ही उपयोग होता रहा, लेकिन यह पहली बार है कि बाल किशोर गृह परिसर के पालना गृह का उपयोग हुआ।

प्रियंका पालीवाल ने कहा:

“हमने यह पालना इसलिए बनाया था ताकि कोई नवजात फेंका न जाए। आज हमारा सपना पूरा हुआ।”


🎯 नवजात का नाम रखा गया ‘लक्ष्य’

  • इस बालक का नाम ‘लक्ष्य’ रखा गया।
  • इसका कारण यह है कि पालना गृह बनाने का जो लक्ष्य था, वह इस बच्चे के आगमन से पूरा हुआ।

प्रियंका पालीवाल ने भावुक होते हुए कहा:

“यह बच्चा अब इस स्थान की पहचान और प्रेरणा बन गया है।”


👨‍👩‍👧‍👦 शिशु गृह में अब 5 बच्चे

कुल बच्चेबालकबालिकाएं
532
  • सभी बच्चों की देखरेख बाल कल्याण समिति द्वारा जिम्मेदारी से की जा रही है।
  • समिति के सदस्य शिवदयाल लखावत, सीमा भारती, ओम प्रकाश लक्ष्यकार और नीता लोठ मौके पर मौजूद रहे।

🙏 समाज से अपील: “बच्चों को फेंकें नहीं, पालने में छोड़ें”

प्रियंका पालीवाल ने समाज से अपील की:

  • अगर कोई बच्चा पालने में छोड़ना चाहता है, तो उसे डरने या शर्माने की जरूरत नहीं
  • पालना गृह में: ✅ कोई कैमरा नहीं होता,
    छोड़ने वाले की पहचान गोपनीय रहती है,
    ✅ और यह स्थान कम भीड़भाड़ वाला है, जिससे गोपनीयता बनी रहती है।

उन्होंने कहा:

“यह बेहतर है कि बच्चा किसी सुरक्षित पालने में मिले, बजाय इसके कि उसे लावारिस हालत में कहीं छोड़ दिया जाए।”


💚 इंसानियत की एक नई शुरुआत

‘लक्ष्य’ केवल एक नवजात नहीं, बल्कि एक संवेदनशील समाज के जागने की प्रतीक है।
पालना गृह जैसे प्रयास तब सफल होते हैं जब समाज गोपनीयता, मानवता, और सुरक्षा को साथ लेकर चले।


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