चित्तौड़गढ़, राजस्थान — केंद्र सरकार की CPS पद्धति (बिना चीरा के साबुत डोडे) के अंतर्गत डोडों का तौल कार्य जिले में तेज़ी से चल रहा है। बुधवार को इस प्रक्रिया का तीसरा दिन रहा, और किसानों ने अपने डोडे तौल केंद्रों पर सौंपकर सरकारी योजना में सक्रिय भागीदारी दिखाई।
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📊 डोडों की तौल: आंकड़े जो गौर करने लायक हैं
पहले डिवीजन की स्थिति:
- 42 गांवों के 221 किसान
- 20228.530 किलोग्राम डोडे सौंपे
- कुल भुगतान: ₹40,45,706
दूसरे डिवीजन की स्थिति:
- 43 गांवों के 328 किसान
- 29377.500 किलोग्राम डोडे तौले
- कुल भुगतान: ₹58,75,500
⏰ पहले डिवीजन का तौल 4 मई तक,
⏰ दूसरे डिवीजन का तौल 2 मई तक जारी रहेगा।
🚜 बुधवार की हलचल: किसान सुबह से पहुंचे तौल केंद्र
बुधवार को तौल कार्य और भी व्यापक रूप से हुआ:
- पहले डिवीजन: 25 गांवों के 202 किसान
- दूसरे डिवीजन: 12 गांवों के 126 किसान
किसानों ने अपने डोडों को तौल केंद्रों पर लाकर सरकारी प्रक्रिया को मजबूती दी। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी एवं सुरक्षा कर्मी व्यवस्था बनाए रखने में तत्पर दिखे।
🌟 मिट्ठूलाल बने चर्चा का विषय — सबसे ज़्यादा डोडे सौंपे
निंबाहेड़ा निवासी मिट्ठूलाल पुत्र रामलाल ने तौल केंद्र पर 156.620 किलोग्राम डोडे सौंपे, जो अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत मात्रा मानी जा रही है।
यह उपलब्धि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई है।
📌 इससे पहले, बड़ावली गांव के भरत पुत्र किशनलाल ने मंगलवार को 143 किलोग्राम डोडे सौंपे थे।
💡 क्या है CPS पद्धति और गम लाइसेंस का कनेक्शन?
भारत सरकार के अनुसार:
- हर किसान को 80 किलो डोडे देना अनिवार्य
- पिछले वर्ष जिन किसानों ने इससे अधिक मात्रा में डोडे सौंपे थे, उन्हें गम पद्धति (चीरा विधि) का लाइसेंस जारी किया गया था
👉 इस वर्ष भी किसानों को आशा है कि अगर वे निर्धारित मात्रा से अधिक डोडे विभाग को सौंपते हैं, तो उन्हें अगले वर्ष गम पद्धति का लाइसेंस मिल सकता है।
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✅ निष्कर्ष
चित्तौड़गढ़ में डोडा तौल की प्रक्रिया न केवल एक सरकारी अनिवार्यता, बल्कि किसानों के लिए गम लाइसेंस पाने का सुनहरा अवसर भी बन चुकी है। मिट्ठूलाल जैसे किसानों ने जो उदाहरण पेश किया है, वह बाकी किसानों के लिए भी प्रेरणा है।
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