उदयपुर

कोटड़ा के लोहारी स्कूल की दुर्दशा: अभिभावकों ने दी चेतावनी, “बिना मरम्मत स्कूल में नहीं भेजेंगे बच्चे”

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राजस्थान के आदिवासी बहुल क्षेत्र उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील के एक छोटे से गांव उमरिया की राजकीय प्राथमिक स्कूल लोहारी इस समय खतरनाक हालात में है। 22 जून 2022 को स्कूल का बरामदा पिलर सहित गिर गया था, और गनीमत रही कि उस समय ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा था, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।

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🏫 एक साल से ज्यादा बीत गया, लेकिन हालात जस के तस

अब जब पूरा शैक्षणिक सत्र बीत चुका है, ग्रामीणों में गुस्सा और चिंता दोनों है। नए सत्र की शुरुआत से पहले अभिभावकों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि स्कूल भवन की मरम्मत नहीं हुई तो वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे


📸 स्कूल की हालत: छत से टपकता पानी, दीवारें कमजोर

गांववालों के अनुसार:

  • स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है
  • बारिश में छत टपकती है
  • बच्चे और शिक्षक भवन के पास जाने से डरते हैं
  • कुल 75 विद्यार्थी इस विद्यालय में अध्ययनरत हैं

📢 ग्रामीणों ने दी सामूहिक चेतावनी

गांव के करमचन्द वडेरा, मोहनलाल तराल, भंवरलाल तराल, लालूराम डाबी, फौजाराम डाबी, चंदूलाल वडेरा आदि ने साफ कहा:

“यदि नया सत्र शुरू होने से पहले स्कूल भवन की मरम्मत नहीं हुई, तो हम अपने बच्चों को वहां नहीं भेजेंगे।”

यह केवल चेतावनी नहीं, बल्कि सुरक्षा की माँग है।


🛣️ विकल्प स्कूल 7-8 किलोमीटर दूर, रास्ता जंगल से

  • नजदीकी स्कूल – राजकीय प्राथमिक विद्यालय खांचन (7 किमी दूर)
  • दूसरा विकल्प – राप्रावि डूंगरिया (8 किमी दूर)
  • रास्ता – जंगल और पहाड़ी क्षेत्र से होकर गुजरता है
  • छोटे बच्चों के लिए बेहद जोखिमभरा

💬 अधिकारियों तक कई बार शिकायत, लेकिन कार्रवाई नहीं

स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों ने कई बार:

  • स्थानीय विधायक
  • जिला शिक्षा अधिकारी
  • सीबीईओ

को स्थिति से अवगत कराया, पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं हुआ। सीबीईओ जीवनराम खराड़ी का कहना है कि:

“स्कूल क्षतिग्रस्त है, इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति ऊपर स्तर से मिलती है।”


🛠️ गांव वालों ने खुद सुधारा रास्ता

लोहारी से मुख्य सड़क तक का रास्ता 8 किमी लंबा और खराब हालत में था। जब किसी ने ध्यान नहीं दिया तो:

  • ग्रामीणों ने खुद पैसा इकट्ठा किया
  • रास्ते की मरम्मत की
  • ताकि शिक्षक और बच्चे सुरक्षित स्कूल तक पहुंच सकें

यह उदाहरण दर्शाता है कि ग्रामीण अपनी जिम्मेदारियों के लिए कितने सजग हैं, लेकिन अब स्कूल भवन की मरम्मत सरकार की जिम्मेदारी है।


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