प्रतापगढ़ जिले के अफीम किसानों के लिए रविवार से एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। नारकोटिक्स विभाग ने सीपीएस (CPS) पद्धति से अफीम की खेती करने वाले किसानों की उपज की तौल का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया 30 अप्रैल तक जिले के जैन दादावाड़ी केंद्र पर संचालित की जाएगी।
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✅ तौल प्रक्रिया में कौन-कौन होंगे शामिल?
जिला अफीम अधिकारी एलसी पंवार (खंड प्रथम) ने बताया कि इस चरण में जिले के 185 गांवों के 1261 किसानों को शामिल किया गया है। इन सभी को नारकोटिक्स विभाग द्वारा सीपीएस पद्धति से लाइसेंस जारी किए गए थे।
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🏡 पहले ही दिन 6 गांवों के किसानों की तौल पूरी
प्रक्रिया के पहले ही दिन, 6 गांवों के 97 किसानों की उपज की तौल पूरी की गई। तौल के बाद हाइड्रोलिक कंप्रेसर मशीन से डोडों को दबाकर 20 किलो के बंडलों में पैक किया गया और ये बंडल नीमच स्थित गोदाम में सुरक्षित भंडारण के लिए भेजे गए।
💰 पारदर्शी भुगतान प्रणाली
तौल के तुरंत बाद, किसानों को उनके उत्पाद का मूल्य सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा। यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता बनाए रखती है, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावनाओं को भी समाप्त करती है।
🔒 सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त
तौल केंद्र पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। पुलिस बल की तैनाती, सीसीटीवी निगरानी, और प्रवेश नियंत्रण प्रणाली को सक्रिय रखा गया है। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि तौल प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी या अफरा-तफरी न हो।
🧾 किसानों को कैसे मिल रही है सूचना?
- विभाग द्वारा सम्मन पत्र भेजे जा रहे हैं
- फोन कॉल और मैसेज के माध्यम से दी जा रही है जानकारी
- हर किसान को समय स्लॉट दिया गया है, ताकि भीड़ से बचा जा सके
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📍 क्या है CPS पद्धति?
CPS (Concentrated Poppy Straw) पद्धति एक आधुनिक तकनीक है जिसमें अफीम की खेती से सीधे डोडा प्राप्त कर उसे प्रोसेस किया जाता है। इससे उपज की शुद्धता बढ़ती है और अवैध दुरुपयोग की संभावना घटती है।
📊 किसानों के लिए फायदे
- ✅ तुरंत भुगतान
- ✅ पारदर्शी प्रक्रिया
- ✅ सीपीएस पद्धति से कम श्रम में अधिक उपज
- ✅ प्रशासनिक निगरानी से सुरक्षा सुनिश्चित
📌 निष्कर्ष:
प्रतापगढ़ जिले में अफीम की तौल प्रक्रिया किसानों के लिए राहत लेकर आई है। नियोजित व्यवस्था, सुरक्षा, और सीधे बैंक खाते में भुगतान जैसी व्यवस्थाएं इस प्रक्रिया को और भी भरोसेमंद बना रही हैं।
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