रतलाम, मध्यप्रदेश – न्यायिक और गैर न्यायिक कार्यों के विभाजन के खिलाफ मध्यप्रदेश के राजस्व अधिकारी लगातार विरोध कर रहे हैं। छठे दिन की हड़ताल में रतलाम के सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने कैबिनेट मंत्री चेतन्य काश्यप से मुलाकात की और सीएम डॉ. मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपकर आदेश वापस लेने की मांग की।
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हड़ताल से प्रभावित हो रहे राजस्व कार्य
6 अगस्त से शुरू हुई इस अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण नामांतरण, बंटवारा और अन्य राजस्व प्रकरण लंबित हो गए हैं। कलेक्ट्रेट परिसर में टेंट लगाकर विरोध जताया जा रहा है। इस आंदोलन को राजस्व निरीक्षक संघ, पटवारी संघ और एडवोकेट्स का भी समर्थन प्राप्त है।
हड़तालियों के कदम
- आपदा प्रबंधन को छोड़कर सभी कार्य बंद।
- शासकीय वाहन प्रशासन को जमा।
- जनता और किसानों के कामों में देरी।
तहसीलदारों की प्रमुख मांगे
- न्यायिक और गैर न्यायिक कार्यों के विभाजन का आदेश तुरंत वापस लिया जाए।
- एक तहसील के सभी राजस्व न्यायालयों को मर्ज करने से किसानों की परेशानी बढ़ेगी।
- न्यायालयों की संख्या घटने से प्रकरणों की पेंडेंसी बढ़ेगी।
- वर्षों से मांग के बावजूद स्टाफ की कमी दूर नहीं हुई।
- आदेश पारित करने और क्रियान्वयन में अलग-अलग अधिकारियों के कारण दिक्कतें।
- 1100 में से 500 अधिकारियों को मूल कार्य से हटाकर अन्य काम देने से विभाग पर आर्थिक बोझ।
- किसानों के हित में चल रही पुरानी व्यवस्था खत्म होने का खतरा।
- एकल खिड़की प्रणाली के बजाय डबल खिड़की किसानों के लिए हानिकारक।
- फील्ड में कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याओं की आशंका।
आंदोलन का असर
हड़ताल के चलते किसानों और आम जनता के लिए जरूरी राजस्व कार्य लंबित हो रहे हैं। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है, जिससे आंदोलन लंबा खिंचने की संभावना है।

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