Category: राजस्थान समाचार | प्रशासनिक विवाद | सामाजिक सरोकार
Author: Team MeWarMalwa
Date: April 12, 2025
📍 चित्तौड़गढ़: टोल नाके पर टकराव, अब बनी राजनीतिक बहस का मुद्दा
चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार टोल नाके पर हुई महिला RTO इंस्पेक्टर मुक्ता सोनी और ट्रक ड्राइवर नाजिम खान के बीच झड़प का मामला अब गर्माता जा रहा है। घटना के बाद न सिर्फ सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, बल्कि विपक्षी दलों ने भी सख्त कार्रवाई की मांग उठाई है।
🎥 वायरल वीडियो ने बढ़ाई चिंता
इस पूरी घटना का वीडियो गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें देखा गया कि महिला इंस्पेक्टर ट्रक ड्राइवर के साथ धक्का-मुक्की और बाल खींचती नजर आ रही हैं।
💬 विवाद की शुरुआत:
- ट्रक रास्ते में खड़ा था, जिससे जाम लग गया
- महिला इंस्पेक्टर ने हटाने के लिए कहा
- ड्राइवर के ढीले रवैये से गुस्साई अफसर ने हाथापाई की
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🛡️ महिला इंस्पेक्टर की सफाई: “स्थिति नियंत्रित करने के लिए कदम उठाया”
मुक्ता सोनी ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने ट्रैफिक अवरोध हटाने का प्रयास किया और ड्राइवर द्वारा अनदेखी करने पर पुलिस को बुलाया गया और मामला दर्ज कराया गया।
उन्होंने घटना को कर्तव्यपालन का हिस्सा बताया, लेकिन वीडियो के सामने आने के बाद उनके पक्ष को कमजोर माना जा रहा है।
🗣️ विधायक की नाराजगी: “कानून के दायरे में रहकर करनी चाहिए थी कार्रवाई”
चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने भी महिला अफसर के व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताई।
“बाल खींचकर और धक्का देना न केवल अमानवीय है, बल्कि पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।”
उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई की मांग की।
🔍 कांग्रेस का बड़ा आरोप: “परिवहन विभाग में गहराया भ्रष्टाचार”
पूर्व राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत ने इस विवाद को व्यवस्था की विफलता बताया।
उनके अनुसार:
- हाईवे पर जानबूझकर ट्रक रोके जाते हैं
- अवैध वसूली के नाम पर ‘डीलिंग’ होती है
- आरटीओ विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है
“मैंने खुद देखा है कि पंजाब की बड़ी गाड़ियां किनारे खड़ी होती हैं और अधिकारी उन्हें बुलाकर सौदे करते हैं।” – जाड़ावत
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⚖️ सवालों के घेरे में जीरो टॉलरेंस नीति
भजनलाल शर्मा सरकार की “Zero Tolerance” नीति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
जाड़ावत ने कहा:
“गहलोत सरकार में ऐसी घटनाओं पर तत्काल सख्त कार्रवाई होती थी। वर्तमान सरकार से भी वैसी ही तत्परता की अपेक्षा है।”
उन्होंने परिवहन मंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की और अफसर के तत्काल निलंबन की अपील की।
📢 विपक्ष की मांग: “जवाबदेही तय हो”
विपक्ष ने इस घटना को लेकर सरकार से यह साफ संदेश देने को कहा है कि:
- अधिकारियों की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी
- कानून सबके लिए बराबर है
- ऐसी घटनाएं अगर अनदेखी हुईं, तो इसका सामाजिक असर गंभीर होगा
📌 निष्कर्ष: प्रशासनिक जवाबदेही ही लोकतंत्र की आत्मा
गंगरार की घटना न केवल एक टोल विवाद है, बल्कि यह सिस्टम की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़ा करती है।
जहां एक ओर आरटीओ अधिकारी को कानून के दायरे में रहना चाहिए, वहीं जनता को भी सही समय पर जागरूकता और सतर्कता दिखानी चाहिए।
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