रतलाम

रतलाम की पटवारी रचना गुप्ता को रिश्वत मामले में 4 साल की सजा

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रतलाम, मध्यप्रदेश — विशेष न्यायालय रतलाम ने रिश्वत लेने के मामले में पटवारी रचना गुप्ता (शर्मा) को दोषी करार देते हुए चार वर्ष का सश्रम कारावास और ₹2000 का जुर्माना लगाया है। यह फैसला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत विशेष न्यायाधीश संजीव कटारे ने सुनाया। सजा सुनाए जाने के बाद रचना गुप्ता को तत्काल जेल भेज दिया गया।


📌 न्यायालय के आदेश के बाद भी मांगी रिश्वत

सहायक निदेशक अभियोजन एवं जिला अभियोजन अधिकारी आशा शाक्यवार ने बताया कि ग्राम पलसोडी, जिला रतलाम निवासी गोपाल सिंह गुर्जर ने 9 जुलाई 2021 को लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत के अनुसार, उनकी 6 बीघा कृषि भूमि (सर्वे क्रमांक 207/1/1) का नामांतरण न्यायालय के आदेश से हो चुका था। इसके बावजूद पटवारी रचना गुप्ता ने नामांतरण की पावती तैयार करने के एवज में ₹10,000 की रिश्वत मांगी।

📅 8 जुलाई 2021 को रचना गुप्ता ने यह मांग की, जिसकी जानकारी गोपाल सिंह ने तुरंत लोकायुक्त को दी।


🎯 घर पर रंगे हाथ पकड़ी गई पटवारी

शिकायत की पुष्टि लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने की।
गोपाल को एक डिजिटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया, जिसमें उसने रचना गुप्ता के साथ हुई बातचीत रिकॉर्ड की। इस बातचीत में रचना ने ₹10,000 में से पहले ₹5,000 लेने और बाकी रकम बाद में लेने की बात स्वीकार की।

📅 12 जुलाई 2021 को लोकायुक्त टीम ने रतलाम के टेलीफोन नगर स्थित रचना गुप्ता के घर पर ट्रैप की कार्रवाई की।
गोपाल से ₹5,000 रिश्वत लेते हुए रचना को रंगे हाथ पकड़ा गया। यह रकम उनके घर के बरामदे में रखी लोहे की पलंग पेटी से बरामद हुई।

जांच में यह भी सामने आया कि यह वही नोट थे, जिन पर पहले से फिनाफ्थलीन पाउडर लगाया गया था। रासायनिक परीक्षण में इसकी पुष्टि हुई।


⚖️ अभियोग पत्र और न्यायालय का फैसला

पूरी जांच के बाद लोकायुक्त पुलिस ने 24 अगस्त 2023 को विशेष न्यायालय, रतलाम में रचना गुप्ता के खिलाफ अभियोग पत्र पेश किया।
विचारण के बाद विशेष न्यायाधीश संजीव कटारे ने उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत दोषी करार दिया।

📜 सजा:

  • चार साल सश्रम कारावास
  • ₹2000 जुर्माना

इस प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक कृष्णकांत चौहान ने पैरवी की।


🚨 भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई

यह मामला इस बात का उदाहरण है कि लोकायुक्त और न्यायालय भ्रष्टाचार के मामलों में कठोर कार्रवाई कर रहे हैं।
यह फैसला सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


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