रतलाम में पर्यावरण संरक्षण को बड़ा झटका देते हुए सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल द्वारा एक हरा-भरा बरगद का पेड़ काट दिया गया। यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के बीच आक्रोश का कारण बनी, बल्कि महापौर प्रहलाद पटेल को भी मौके पर पहुंचना पड़ा।
📍 क्या है मामला?
गुरुवार को रतलाम के मित्र निवास रोड के पास स्थित सेंट जोसेफ स्कूल के बाहर एक विशाल बरगद का पेड़ काट दिया गया। जानकारी मिलते ही महापौर प्रहलाद पटेल मौके पर पहुंचे और नगर निगम अधिकारियों को पेड़ काटने के लिए ₹1 लाख का जुर्माना लगाने और FIR दर्ज करने के निर्देश दिए।
🪓 बगैर अनुमति के हुई पेड़ कटाई?
- पेड़ स्कूल परिसर से बाहर फुटपाथ पर था।
- मौके पर पहुंचे नगर निगम वृक्ष अधिकारी अनवर कुरेशी ने बताया कि जांच की जा रही है कि क्या पेड़ काटने की अनुमति ली गई थी या नहीं।
- अगर बिना अनुमति के पेड़ काटा गया है, तो वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
🚨 विरोध में उतरी ABVP
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्र और पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे। हाथों में पेड़ की टहनियां और झंडे लेकर स्कूल के बाहर धरने पर बैठ गए।
एक घंटे तक यातायात ठप रहा।
उन्होंने SDM अनिल भाना और थाना प्रभारी स्वराज डाबी को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि:
- पेड़ काटने वाले स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की जाए।
- 1000 नए पेड़ लगाए जाएं।
🌿 बरगद का महत्व: सिर्फ पेड़ नहीं, आस्था का प्रतीक
महापौर पटेल ने पेड़ की धार्मिक और पर्यावरणीय महत्ता पर बल देते हुए कहा:
“बरगद का पेड़ महादेव का प्रतीक होता है। यह 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाला वृक्ष है।”
उन्होंने इस कदम को हिंदू संस्कृति और शहर की ऑक्सीजन व्यवस्था दोनों के लिए हानिकारक बताया।
💬 क्या कहती है स्थानीय राजनीति?
- पार्षद प्रतिनिधि राजेश माहेश्वरी ने दावा किया कि स्कूल ने किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली।
- CSP सत्येंद्र घनघोरिया ने बताया कि जांच जारी है और दो पेड़ काटे जाने की पुष्टि हो चुकी है।
🌱 आगे क्या?
रतलाम जैसे गर्म शहर (जहां तापमान 44 डिग्री पार कर गया है) में पेड़ों की कटाई पर्यावरणीय संकट को और गहरा बना सकती है। इस प्रकरण ने प्रशासन को हरकत में ला दिया है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए नागरिकों की सजगता भी जरूरी है।
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📢 निष्कर्ष:
यह सिर्फ एक पेड़ नहीं था — यह हमारी सांसों का स्रोत, हमारी आस्था का प्रतीक, और भविष्य की सुरक्षा था।
अब समय है कि हम सिर्फ विरोध न करें, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए मिलकर कदम उठाएं।
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