रतलाम में शिक्षा विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। प्राइवेट स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण और स्कूलों में कमियां गिनाकर जिला शिक्षा केंद्र के अधिकारियों पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय को इस बारे में जानकारी मिली और उन्होंने न सिर्फ कैबिनेट मंत्री चैतन्य काश्यप बल्कि भोपाल तक शिकायत पहुंचाई।
अवैध वसूली का खुलासा कैसे हुआ?
रतलाम के एक निजी स्कूल से 30,000 रुपए की वसूली की खबर सामने आई। यह स्कूल भाजपा नेता का था और अधिकारियों ने उनके भाई से राशि वसूली।
भाजपा जिलाध्यक्ष का दावा है कि रतलाम शहर के करीब 100 से 200 निजी स्कूलों से 15,000 से 30,000 तक की राशि अवैध रूप से वसूली गई है।
कौन-कौन हैं आरोपी अधिकारी?
इस मामले में डीपीसी धर्मेंद्र हाड़ा, बीआरसी प्रणव द्विवेदी और एपीसी विवेक नागर पर आरोप लगे हैं। बताया गया कि इन अधिकारियों ने स्कूलों में कमियां बताकर अवैध राशि मांगी।
📌 स्कूलों की मान्यता | 📌 शिक्षा विभाग घोटाला | 📌 रतलाम स्कूल रिश्वत
स्कूलों से लिए गए पैसे: नामवार स्कूलों की सूची
इन स्कूलों से अवैध राशि वसूली की पुष्टि हुई:
- नवज्योति विद्यापीठ नामली
- न्यूस्टार मांटेसरी स्कूल जावरा
- आदर्श विद्या विहार रतलाम
- एम पब्लिक कॉन्वेंट रतलाम
- नवभारत स्कूल रतलाम
- स्टार फोर्ड स्कूल रतलाम
- नवीन शिव विद्यालय रतलाम
- मारूति एकेडमी सातरुंडा
- रामदास स्कूल रतलाम
- संत मीरा कॉन्वेंट स्कूल रतलाम
- सरस्वती शिशु मंदिर रतलाम
डीपीसी से की गई खुली बातचीत
भाजपा जिलाध्यक्ष ने शिक्षा संघ पदाधिकारियों और स्कूल संचालकों के साथ डीपीसी धर्मेंद्र हाड़ा से मुलाकात कर अवैध वसूली के सबूत सौंपे। उन्होंने चेतावनी दी कि जिन स्कूलों से राशि ली गई है, उन्हें वह पैसा वापस कराना सुनिश्चित करेंगे।
“मेरे पास प्रूफ है कितनों स्कूलों से राशि ली है। भ्रष्टाचार नहीं होने दिया जाएगा।”
— प्रदीप उपाध्याय, भाजपा जिलाध्यक्ष
विरोध में खुलकर आए शिक्षा संघ के पदाधिकारी

मप्र प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपेश ओझा ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग द्वारा जानबूझकर नोटिस जारी कर दबाव बनाया गया और स्कूलों को 30-30 हजार रुपए देने के लिए मजबूर किया गया।
“सबके रेट तय कर दिए गए हैं। डीपीसी, बीआरसी और एपीसी द्वारा वसूली की जाती है।” — दीपेश ओझा
इंटरनल लिंकिंग
आरोप के बाद अधिकारियों का व्यवहार
- बीआरसी दो दिन से लापता हैं।
- एपीसी विवेक नागर, जो पहले मारपीट के मामले में जेल जा चुके हैं, अब डीपीसी के साथ देखे गए।
- बताया गया कि भाजपा नेता के स्कूल से जो 30 हजार लिए गए थे, वह राशि वापस कर दी गई है।
डीपीसी ने क्या कहा?
डीपीसी धर्मेंद्र हाड़ा ने सभी आरोपों को झूठा और निराधार बताया। उन्होंने कहा कि 90% मान्यताएं पहले ही जारी कर दी गई थीं और कुछ कारणों से जो मान्यताएं रुकी थीं, वे भी जल्द पूरी कर दी गईं।
“इन आरोपों की जांच जांच समिति से कराई जाएगी और सच सामने लाया जाएगा।” — धर्मेंद्र हाड़ा, डीपीसी
निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा नेता के हस्तक्षेप और स्कूल संचालकों की शिकायतों ने मामले को गंभीर बना दिया है। अब देखना यह है कि जांच के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और स्कूल संचालकों को उनका पैसा कब वापस मिलता है।
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