उदयपुर

जय घोष से गूंजा उदयपुर: भगवान महावीर स्वामी की 2624वीं जयंती पर ऐतिहासिक शोभायात्रा

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भगवान महावीर स्वामी की जय… जियो और जीने दो… त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की… जैसे जयघोषों से आज पूरा उदयपुर शहर गूंज उठा। महावीर जयंती 2025 के उपलक्ष्य में निकाली गई शोभायात्रा ने धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक संदेशों का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।

📿 भव्य शुरुआत नगर निगम प्रांगण से

आज सुबह 8:30 बजे उदयपुर नगर निगम प्रांगण से यह शोभायात्रा प्रारंभ हुई। टाउनहॉल, सूरजपोल, बापूबाजार, देहलीगेट, भोपालवाड़ी, बडा बाजार, घंटाघर, हाथीपोल, अश्विनी बाजार होते हुए यात्रा पुनः नगर निगम प्रांगण में सम्पन्न हुई।

श्वेत वस्त्रों में पुरुष एवं पारंपरिक चुंदड़ में महिलाएं भगवान महावीर के स्तवन गाते हुए साथ चल रही थीं। शोभायात्रा में उमड़े भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था।

🌟 मुख्य आकर्षण: झांकियां, रथ और बच्चों की प्रस्तुति

इस महावीर जयंती शोभायात्रा में अनेक रंग-बिरंगे झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों ने जनमानस को आकर्षित किया। शोभायात्रा में शामिल मुख्य आकर्षण:

  • 1 हाथी, 11 घोड़े और 11 बैंड
  • 41 स्केटिंग करते बच्चे
  • 1008 दुपहिया वाहन
  • 21 धार्मिक झांकियां
  • 1 भव्य सप्त किरण रथ

🌱 समाज सेवा और जागरूकता का संदेश

शोभायात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि इसमें सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश भी शामिल थे। विभिन्न समाजों और स्कूलों द्वारा तैयार की गई 22 झांकियों में निम्न विषयों को दर्शाया गया:

  • पर्यावरण संरक्षण
  • स्वच्छ भारत अभियान
  • भगवान महावीर के सिद्धांत
  • नशामुक्ति
  • शाकाहार को अपनाना
  • महिला सशक्तिकरण
  • सामाजिक कुरीतियों का विरोध
  • सेवा और परोपकार

इन सभी विषयों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत कर जनता को प्रेरित किया गया।

🎙️ राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया का विशेष संबोधन

बापूबाजार में शोभायात्रा के स्वागत के दौरान पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा:

“अगर हम भगवान महावीर के बताए अनेकांतवाद के सिद्धांत को अपनाएं, तो दुनिया से तनाव खत्म हो सकता है। सामने वाले की बात को सुने बिना निर्णय लेना संघर्ष को जन्म देता है। सुनने और समझने की भावना से संघर्ष मिटाया जा सकता है।”

उन्होंने जैन समाज के अपरिग्रह सिद्धांत की भी सराहना की और इसे जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।

🏁 स्वागत द्वार और प्रभावना का आयोजन

शोभायात्रा के मार्ग में 31 से अधिक स्थानों पर प्रभावना वितरण के काउंटर लगे थे और भव्य स्वागत द्वारों की श्रृंखला ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया। पूरे मार्ग को धार्मिक रंगों और सजावट से सजाया गया था।

📌 निष्कर्ष: एक प्रेरणादायक आयोजन

महावीर जयंती पर निकली यह शोभायात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन गई। भगवान महावीर के अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांतवाद के सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 2600 वर्ष पूर्व थे।



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