राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्माई हुई है, और इस बार केंद्र में हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट। उदयपुर के प्रतापनगर चौराहे पर हाल ही में कुछ विवादित पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें इन दोनों नेताओं को गद्दार बताया गया है। इससे न सिर्फ कांग्रेस पार्टी में हलचल मच गई है, बल्कि स्थानीय राजनीति में भी गहरा विवाद खड़ा हो गया है।
🔥 पोस्टर में क्या लिखा था?
प्रतापनगर चौराहे पर लगे इन पोस्टरों में एक तरफ अशोक गहलोत और दूसरी तरफ सचिन पायलट की तस्वीरें हैं। इन पोस्टरों में उन्हें वक्फ बिल का विरोध करने वाला और धर्म, वतन और पूर्वजों का गद्दार बताया गया है। पोस्टर किसने लगाए हैं, इसका अब तक कोई खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन इसे एक राजनीतिक साजिश माना जा रहा है।
🤔 किसने लगाए पोस्टर? साजिश या सियासी चाल?
इन पोस्टरों को लेकर कांग्रेस पार्टी में नाराजगी साफ देखी जा सकती है। उदयपुर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इस हरकत की कड़ी निंदा की है।
कांग्रेस शहर जिला अध्यक्ष फतह सिंह राठौड़ ने बयान दिया कि:
“ऐसी हरकतें सिर्फ बीजेपी समर्थक ही कर सकते हैं। ये लोग छिपकर हमारे नेताओं को गद्दार कह रहे हैं ताकि उन्हें नीचा दिखाया जा सके। यह सरासर गलत है और हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं।”
📌 कांग्रेस का रुख: कड़ा विरोध और कानूनी कार्रवाई की मांग
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहर में प्रदर्शन कर इन पोस्टरों को हटाने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि CCTV फुटेज खंगाले जाएं और इस हरकत के पीछे किसका हाथ है, इसका जल्द से जल्द पता लगाया जाए।
📉 राजनीतिक छवि को नुकसान?
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर आम है, लेकिन जब बात किसी की देशभक्ति या धर्म से जुड़ी हो, तो मामला गंभीर हो जाता है। पोस्टरों में इस्तेमाल की गई भाषा और आरोप न केवल राजनीतिक मर्यादा को तोड़ते हैं, बल्कि इससे समाज में धार्मिक और सामाजिक तनाव भी पैदा हो सकता है।
📲 सोशल मीडिया पर बवाल
इस घटना के बाद से #Gehlot #SachinPilot #UdaipurPolitics #PosterControversy जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे हैं। कई यूजर्स ने इसे एक सुनियोजित प्रयास बताया है ताकि आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस की छवि खराब की जा सके।
🧩 क्या चुनावी रणनीति का हिस्सा है ये विवाद?
राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और इस तरह के विवाद समय-समय पर सामने आते रहे हैं। यह घटना कहीं न कहीं इसी चुनावी रणनीति का हिस्सा भी मानी जा रही है।
सवाल उठता है कि क्या यह सचमुच कोई जनता की राय है या फिर एक राजनीतिक चाल?
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📝 निष्कर्ष
उदयपुर में पोस्टर पॉलिटिक्स ने यह साफ कर दिया है कि राजस्थान की राजनीति में अभी भी सब कुछ शांत नहीं है। चाहे यह राजनीतिक साजिश हो या जनता की प्रतिक्रिया, लेकिन इससे एक बात साफ है – कांग्रेस को न केवल बाहरी चुनौतियों से लड़ना है, बल्कि भीतरू संघर्ष को भी सुलझाना है।
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