रतलाम

Dr. B.R. Ambedkar Jayanti 2025: रतलाम में दिखा श्रद्धा और उत्साह का अनोखा संगम

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हर वर्ष की तरह इस बार भी रतलाम शहर ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को पूरे जोश और श्रद्धा के साथ मनाया। 134वीं जयंती पर शहर में सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने एक साथ मिलकर संविधान निर्माता को नमन किया और उनके विचारों को जीवन में उतारने का संकल्प लिया।

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🚩 भव्य वाहन रैली से हुई शुरुआत

अलसुबह अजाक्स संगठन द्वारा अलकापुरी चौराहे से एक शानदार वाहन रैली निकाली गई। सबसे आगे वाहन में तिरंगा लिए संगठन के पदाधिकारी थे, जबकि उनके पीछे युवा बाइक और पैदल मार्च करते हुए ‘जय भीम’ के झंडे लहरा रहे थे।

  • रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गुज़री
  • दोपहर 1:45 बजे यह डॉ. अंबेडकर सर्कल पहुँची
  • वहां बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया
  • “बाबा साहेब अमर रहें” के नारे गूंजे

🎤 राजनीतिक दलों की सहभागिता

अंबेडकर जयंती के मौके पर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी।

भाजपा के प्रमुख नेता उपस्थित रहे:

  • महापौर प्रहलाद पटेल
  • निगम अध्यक्ष मनीषा शर्मा
  • जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय
  • युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष विप्लव जैन

सभी ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर फूल अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।


🏛️ “संविधान और लोकतंत्र की रक्षा हमारी प्राथमिकता” – कांग्रेस

कांग्रेस की ओर से शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। उन्होंने कहा:

“बाबा साहेब का सपना था – एक समतामूलक समाज का निर्माण। संविधान और लोकतंत्र की रक्षा ही हमारी प्राथमिकता है।”

उनके साथ पूर्व विधायक पारस सकलेचा, यास्मीन शैरानी, राजीव रावत, और कई वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे।


📸 जयंती के दृश्य: एक नजर

  • युवा वर्ग में जोश और गर्व की भावना
  • हर गली में ‘जय भीम’ के नारे
  • सामाजिक संगठनों की भागीदारी उल्लेखनीय
  • महिलाओं की भी बढ़ती सहभागिता

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✊ डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक

आज जब देश लोकतंत्र और समानता की चुनौतियों से गुजर रहा है, बाबा साहेब के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। वे सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि समाज में समता, बंधुत्व और न्याय के सिद्धांतों के प्रवर्तक थे।

“I measure the progress of a community by the degree of progress which women have achieved.” – Dr. B.R. Ambedkar


🔚 निष्कर्ष

रतलाम शहर में डॉ. अंबेडकर जयंती पर जो दृश्य सामने आया, वह न केवल श्रद्धा का प्रतीक था, बल्कि यह भी दिखाता है कि आज भी उनका संदेश हर दिल में जीवित है। रैलियाँ, भाषण, और माल्यार्पण – यह सब एक नई पीढ़ी को प्रेरित करता है, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़े रहने को।



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