मध्यमप्रदेश के एक बड़े हिस्से में चीतों के संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा लिए गए फैसले ने अब ग्रामीणों की आजीविका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 25,600 हेक्टेयर क्षेत्र को लोहे की जालियों से घेरकर वन विभाग ने चीतों के लिए एक सीमित और संरक्षित क्षेत्र निर्धारित किया है, लेकिन इस कदम का सबसे बड़ा खामियाजा उन गांवों को भुगतना पड़ रहा है जो वर्षों से दूध उत्पादन के व्यवसाय पर निर्भर थे।
🔗 जानिए मध्यप्रदेश से जुड़ी और खबरें यहां पढ़ें
स्थानीय समुदाय का विरोध – “दूध व्यवसाय हुआ तबाह”
मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी और किसान नेता श्यामलाल जोकचंद ने इस मुद्दे पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि:
“पहले किसानों की उपजाऊ ज़मीन वन विभाग ने अधिग्रहित कर ली, अब जो बचा था वो भी बर्बाद हो गया। लोगों ने आजीविका के लिए गोपालन और दूध व्यवसाय शुरू किया था, लेकिन अब वो भी संकट में आ गया है।”
“गाय के नाम पर राजनीति, और जंगल में हिंसा”
श्यामलाल जोकचंद ने सरकार की गो-रक्षा नीति को दोहरा चेहरा बताया। उन्होंने कहा:
“एक ओर सरकार गाय के नाम पर राजनीति करती है, दूसरी ओर उन्हीं गायों के प्राकृतिक क्षेत्र में हिंसक जानवर जैसे चीते छोड़े जा रहे हैं। इसका सीधा असर ग्रामीणों पर पड़ा है – कई परिवार बेरोजगार हो चुके हैं।”
संरक्षण बनाम आजीविका – संतुलन की ज़रूरत
चीतों का संरक्षण एक अहम पर्यावरणीय पहल है, लेकिन इसके कारण गांवों में पैदा हुई बेरोजगारी और आर्थिक संकट की अनदेखी नहीं की जा सकती।
📍 प्रमुख मुद्दे:
- 25,600 हेक्टेयर भूमि पर सीमाएं खींची गईं
- ग्रामीणों की गो-पालन, दूध बिक्री व रोजगार प्रभावित
- स्थानीय आवाज़ों को अनसुना किया जा रहा है
- संरक्षण नीतियों में संतुलन और मानवाधिकारों की ज़रूरत
🔗 खेती और ग्रामीण मुद्दों से जुड़ी खबरें पढ़ें

अब आगे क्या?
ग्रामीणों की मांग है कि:
- वन विभाग दूध व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करे
- ग्रामीणों को वैकल्पिक रोजगार योजना दी जाए
- पारंपरिक ग्रामीण आजीविका को खतरे में डालने से पहले सामुदायिक संवाद किया जाए
निष्कर्ष
चीतों के संरक्षण जैसा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सफल तभी हो सकता है जब वह प्राकृतिक संतुलन के साथ-साथ मानव जीवन के हितों को भी ध्यान में रखे। आज ज़रूरत है कि सरकार और प्रशासन मिलकर ऐसा मॉडल बनाए जिसमें पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण आजीविका दोनों सुरक्षित रहें।
📲 Follow for regular updates & breaking news on WhatsApp:
👉 Join WhatsApp Channel