चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ जिला अस्पताल में एसी ब्लास्ट से लगी आग, मरीजों में मची अफरा-तफरी

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चित्तौड़गढ़ ज़िले के सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य संस्थान जिला हॉस्पिटल में मंगलवार को एक गंभीर हादसा हो गया। अस्पताल की पहली मंजिल पर स्थित कॉटेज वार्ड रूम नंबर 11 में एसी में शॉर्ट सर्किट के चलते जोरदार ब्लास्ट हुआ, जिसके बाद वहां भयंकर आग लग गई। आग और धुएं के कारण अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई और मरीजों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया।

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🔊 धमाके से दहले अस्पताल परिसर

घटना सुबह उस वक्त हुई जब अस्पताल में सामान्य रूप से इलाज चल रहा था। अचानक रूम नंबर 11 में जोरदार धमाका हुआ, जिससे पास के सभी मरीज और उनके परिजन घबरा गए। धमाके के बाद कमरे में तेज आग लग गई और कुछ ही मिनटों में धुआं पूरे वार्ड में फैल गया।

💨 धुआं ग्राउंड फ्लोर तक पहुंचा

आग से उठे धुएं ने ग्राउंड फ्लोर तक का इलाका प्रभावित कर दिया, जिससे वहां भर्ती मरीजों को तुरंत बाहर निकालना पड़ा। इस बीच, दो मरीज जो पास के कमरे में थे, धमाका सुनते ही खुद को बचाते हुए बाहर निकल गए।


🚑 फुर्ती से हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन

हॉस्पिटल का स्टाफ, सुरक्षाकर्मी और सदर थाने की पुलिस टीम तत्काल रेस्क्यू में जुट गई। घटना के समय एक अन्य मामले को लेकर पहले से मौजूद पुलिस बल ने आग बुझाने और मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

💪 ASI अमर सिंह का सराहनीय कार्य

सदर थाने के ASI अमर सिंह ने एक बुजुर्ग मरीज को एक अन्य व्यक्ति की मदद से कंधे पर उठाकर बाहर निकाला, जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है। रेस्क्यू के दौरान केवल एक व्हील चेयर उपलब्ध थी, जिससे स्थिति और जटिल हो सकती थी।


🚒 दमकल टीम ने पाया काबू, पर जल गया पूरा कमरा

घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। चूंकि आग ऊपरी मंजिल पर थी, इसलिए दमकल कर्मियों ने बाहर से सीढ़ी लगाकर ऊपर चढ़ाई की। खिड़की की जाली काटी गई, कांच तोड़ा गया और अंदर जाकर आग बुझाने का प्रयास किया गया। रूम नंबर 11 पूरी तरह से जल चुका था, हालांकि समय पर की गई कोशिशों से आग को फैलने से रोका गया।


⚠️ अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाएं नाकाम

इस घटना ने जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमजोरियों को उजागर कर दिया।

  • अस्पताल में फायर एक्सटिंग्विशर की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।
  • फायर फाइटिंग पाइपलाइन पहली मंजिल तक नहीं पहुंच रही थी।
  • आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की कोई स्पष्ट योजना मौजूद नहीं थी।

😟 क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

यदि रूम नंबर 11 में मरीज भर्ती होते तो यह हादसा और भी बड़ा हो सकता था। घटना ने यह साबित कर दिया कि अस्पताल प्रशासन को आपदा प्रबंधन प्रणाली को लेकर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।


📌 निष्कर्ष

चित्तौड़गढ़ जिला हॉस्पिटल की इस घटना ने न केवल प्रशासन को झकझोरा है, बल्कि आम जनता को भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े करने पर मजबूर कर दिया है। गनीमत रही कि कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई, लेकिन इस घटना से सबक लेना बेहद जरूरी है।

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