चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ में खेत में घुसा 5 फीट लंबा मगरमच्छ, वन विभाग ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद किया रेस्क्यू

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चित्तौड़गढ़ से हैरान करने वाली घटना

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के धरियावद रेंज के साठपुरा गांव में सोमवार देर शाम एक 5 फीट लंबा और करीब 35 किलो वजनी मगरमच्छ खेत में घुस आया। घटना उस समय हुई जब एक किसान मक्का तोड़ने खेत गया था। किसान ने जैसे ही मगरमच्छ को देखा, वह घबरा गया और तेज आवाज की। डर के मारे वह तुरंत खेत से बाहर भाग गया और गांव वालों को सूचना दी।

गांव में अचानक मगरमच्छ के आने से हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग की टीम को बुलाया। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद मगरमच्छ को सुरक्षित पकड़कर पास के दातलिया डेम (बांध) में छोड़ दिया गया।


खेत में छिप गया मगरमच्छ

धरियावद रेंजर प्रशांत शर्मा ने बताया कि किसान की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। लेकिन खेत में खड़ी फसल और अंधेरा होने के कारण मगरमच्छ को पकड़ना आसान नहीं था।

जैसे ही टीम उसे पकड़ने की कोशिश करती, मगरमच्छ फसलों के बीच छिप जाता। इस दौरान मौके पर भारी भीड़ भी जमा हो गई। ग्रामीणों ने भी टीम को सहयोग दिया ताकि किसी तरह से मगरमच्छ को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।


टॉर्च की रोशनी से शुरू हुई तलाश

वन विभाग की टीम ने सबसे पहले खेत का एक हिस्सा साफ किया और फिर टॉर्च की रोशनी से मगरमच्छ को खोजा। करीब 8 से 10 वन विभाग के कर्मचारी इस ऑपरेशन में शामिल थे।

टीम को बार-बार अंधेरे और घनी फसलों के कारण दिक्कत आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आखिरकार लगभग डेढ़ घंटे की कड़ी मेहनत के बाद मगरमच्छ को सुरक्षित पकड़ लिया गया।


दातलिया डेम में छोड़ा गया मगरमच्छ

रेस्क्यू के बाद वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को दातलिया डेम में छोड़ दिया। यहां उसका प्राकृतिक माहौल है, जहां वह सुरक्षित रह सकेगा। इस दौरान ग्रामीणों ने राहत की सांस ली और वन विभाग की टीम की तत्परता की सराहना की।


बारिश के मौसम में बढ़ते हैं ऐसे मामले

रेंजर प्रशांत शर्मा ने बताया कि बारिश के मौसम में नदी-नालों और तालाबों का पानी बढ़ जाता है। तेज बहाव की वजह से मगरमच्छ अक्सर अपने प्राकृतिक आवास से निकलकर गांवों और खेतों तक पहुंच जाते हैं।

उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि अगर इस तरह की स्थिति सामने आए तो डरें नहीं और तुरंत वन विभाग को सूचना दें। समय रहते सूचना देने से हादसे को टाला जा सकता है और इंसानों व जानवर दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।


ग्रामीणों ने जताई खुशी

गांव वालों का कहना था कि अगर वन विभाग समय पर नहीं पहुंचता तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था। मगरमच्छ खेत में मौजूद लोगों पर हमला कर सकता था। गनीमत रही कि इस घटना में न तो किसी इंसान को चोट पहुंची और न ही मगरमच्छ को कोई नुकसान हुआ।


वन्यजीव संरक्षण का उदाहरण

इस घटना ने यह भी साबित किया कि अगर सही समय पर कार्रवाई की जाए तो इंसान और वन्यजीव दोनों की सुरक्षा की जा सकती है। वन विभाग की टीम ने पेशेवर तरीके से काम करते हुए न केवल ग्रामीणों की जान बचाई बल्कि मगरमच्छ को भी उसके सुरक्षित आवास में पहुंचाया।

वन्यजीव विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामलों से लोगों को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वे घबराने की बजाय वन विभाग को जानकारी दें।


निष्कर्ष

चित्तौड़गढ़ जिले का यह मामला दिखाता है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ते बारिश के मौसम में आम हो जाता है। मगरमच्छ का गांव या खेत में आना खतरनाक हो सकता है, लेकिन वन विभाग की समय पर कार्रवाई ने साबित कर दिया कि सतर्कता और सहयोग से किसी भी स्थिति को संभाला जा सकता है।


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