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बैसाखी पर्व: नीमच के श्री गुरुद्वारा साहिब में धूमधाम से मनाया गया

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बैसाखी, जोकि सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, इस वर्ष नीमच के श्री गुरुद्वारा साहिब में बड़े धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व सिख समुदाय के लिए न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है। बैसाखी का पर्व सिखों के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है, और इसे विशेष रूप से खालसा पंथ की स्थापना के दिन के रूप में मनाया जाता है।

बैसाखी पर्व का ऐतिहासिक महत्व

बैसाखी का पर्व हर साल बैसाख मास के पहले दिन मनाया जाता है। 1699 में, इसी दिन, सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन को ‘खालसा साजना दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, और यह पंथ असहायों की मदद करने और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने का प्रतीक बन चुका है। आज भी खालसा पंथ दुनिया भर में सेवा कार्यों में सक्रिय है और अपने सिद्धांतों को फैलाने का कार्य कर रहा है।

नीमच के श्री गुरुद्वारा साहिब में आयोजन

नीमच के श्री गुरुद्वारा साहिब में बैसाखी पर्व का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। गुरुद्वारे को खास तौर पर सजाया गया था, और सुबह से ही श्रद्धालुओं में पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा गया। इस अवसर पर श्री अखंड पाठ और कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। गुरुद्वारा साहिब के ज्ञानी साजन सिंह जी ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं को बैसाखी के महत्व के बारे में बताया और खालसा पंथ के उद्देश्यों की चर्चा की।

समाज के विभिन्न वर्गों का योगदान

कार्यक्रम के दौरान शहर के प्रमुख समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर भी उपस्थित रहे। उन्होंने गुरुद्वारा साहिब में माथा टेककर शहरवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान सिख समाज ने उनका सम्मान करते हुए सरोपा पहनाया। यह एकता और भाईचारे का प्रतीक था, जो इस आयोजन की सफलता को और बढ़ाता है।

बैसाखी का सामाजिक और धार्मिक संदेश

बैसाखी पर्व केवल सिख समुदाय का पर्व नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एकता और भाईचारे का संदेश देता है। नीमच के गुरुद्वारे में आयोजित इस पर्व में विभिन्न समुदायों के लोगों ने भाग लिया और सामूहिक रूप से सामाजिक समरसता का परिचय दिया। यह पर्व यह दिखाता है कि धार्मिक विविधता के बावजूद, हम सभी एक साथ रह सकते हैं और एक-दूसरे के सम्मान में बढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष

बैसाखी पर्व के आयोजन ने यह साबित कर दिया कि धर्म और समाज दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। नीमच के श्री गुरुद्वारा साहिब में यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्त्व का था, बल्कि यह एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है। इस प्रकार के आयोजनों से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हम सभी एकजुट होकर समाज के भले के लिए काम कर सकते हैं।

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