📍 स्थान: नीमच, मध्यप्रदेश
👤 मृतक: सोहनलाल उर्फ सोनू बंजारा (22 वर्ष)
⚖️ आरोपी: वकील दर्शन शर्मा
📁 धारा: भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 व 308(7) बी.एन.एस.
📌 क्या है मामला?
नीमच जिले में 22 वर्षीय युवक सोनू बंजारा की आत्महत्या के मामले में स्थानीय वकील दर्शन शर्मा को न्यायालय ने जेल भेज दिया है। वकील पर 7 लाख रुपए की मांग, मानसिक प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोप हैं।
⚠️ घटना की पृष्ठभूमि
- 30 अप्रैल 2025 को ग्राम रामनगर निवासी सोनू बंजारा ने गोवर्धन बंजारा के खेत में फांसी लगाकर जान दे दी थी।
- जीरन थाना पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद मामले को संवेदनशील मानते हुए गहराई से जांच शुरू की।
- आत्महत्या से पहले सोनू मानसिक तनाव में था और कई लोगों से आर्थिक मदद मांग रहा था।
💰 पैसों की मांग और धमकी
जांच में सामने आया कि:
- वकील दर्शन शर्मा ने सोनू की मां सीताबाई के खिलाफ बघाना थाना में एक आपराधिक मामला दर्ज कराया था।
- 18 अप्रैल को हिंगोरिया फाटक पर वकील ने सोनू से मुलाकात कर समझौते के एवज में 7 लाख रुपए की मांग की।
- सोनू ने कहा – “इतने पैसे कहां से लाऊं, मैं मर जाऊंगा।”
- इस पर वकील ने कथित रूप से जवाब दिया – “तेरी मां के साथ तुझे भी जेल भिजवा दूंगा, जा मर जा।”
🎙️ गवाहों की पुष्टि
- मृतक ने दोस्तों शाकीर मंसूरी और कैलाश खटीक को धमकियों की जानकारी दी थी।
- आत्महत्या से पहले सोनू ने आर्थिक सहायता के लिए कई लोगों से संपर्क किया।
- पुलिस को परिजनों और गवाहों के बयान मिले जो आरोप की पुष्टि करते हैं।
⚖️ पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
🔹 कार्रवाई | विवरण |
---|---|
📑 प्राथमिकी | BNS धारा 108 व 308(7) के तहत |
👮 गिरफ्तारी | वकील दर्शन शर्मा को गिरफ्तार किया गया |
🏛️ कोर्ट पेशी | न्यायालय में पेश किया गया, जहां से जेल भेजा गया |
🎥 वीडियो वायरल | कोर्ट के बाहर मीडिया को रोकते हुए आरोपी का वीडियो वायरल |

👁️🗨️ सोशल मीडिया पर हंगामा
वकील की गिरफ्तारी और उनका मीडिया को धमकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। स्थानीय लोगों में घटना को लेकर गहरा आक्रोश है।
📌 क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ?
🎙️ कानूनी जानकारों का मानना है कि अगर मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने के पर्याप्त साक्ष्य हों, तो आरोपी को लंबी सजा हो सकती है। विशेष रूप से तब जब वह एक जिम्मेदार पद (वकील) पर हो।
🤔 यह मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
- वकील जैसे पेशे में बैठे लोग यदि अपनी कानूनी जानकारी का दुरुपयोग करने लगें, तो यह न्याय व्यवस्था के लिए घातक संकेत हैं।
- यह केस समाज को दिखाता है कि कानून का डर सबके लिए समान होना चाहिए, चाहे वह आम व्यक्ति हो या वकील।
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