चित्तौड़गढ़ की पॉक्सो कोर्ट ने नाबालिग छात्रा से रेप मामले में आरोपी को 20 साल की कठोर सजा और ₹1.20 लाख जुर्माने की सजा सुनाई। पढ़ें पूरा मामला।
चित्तौड़गढ़, राजस्थान: जिले में नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के एक सनसनीखेज मामले में पॉक्सो कोर्ट नंबर-1 ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी देवेंद्र सिंह को 20 साल की सजा और ₹1,20,500 का जुर्माना सुनाया है। कोर्ट ने साथ ही पीड़िता को ₹2 लाख पीड़ित प्रतिकर राशि देने का आदेश भी दिया है।
📌 यह खबर Mewar Malwa पर सबसे पहले प्रकाशित हुई।
⚖️ कोर्ट का निर्णय: सख्त सजा और मुआवजा
पॉक्सो कोर्ट की पीठासीन अधिकारी लता गौड़ ने 24 मई 2025 को यह फैसला सुनाया।
आरोपी देवेंद्र सिंह पुत्र प्रहलाद सिंह को दोषी मानते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में कठोरतम सजा देना आवश्यक है, जिससे समाज में सख्त संदेश जाए।
📅 मामला नवंबर 2022 का है
इस जघन्य अपराध की शुरुआत नवंबर 2022 में हुई जब विजयपुर थाना क्षेत्र की एक महिला ने अपनी 14 वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ हुए दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
📝 रिपोर्ट के अनुसार:
- छात्रा स्कूल से लौट रही थी
- रास्ते में आरोपी देवेंद्र सिंह ने उसे जबरन अपने कमरे में बंद कर लिया
- कांच की बोतल फोड़कर उसे डराया
- हाथ बांधकर किया दुष्कर्म
👮♀️ पुलिस की तत्परता और न्यायिक कार्रवाई
- रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया
- चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की गई
- विशिष्ट लोक अभियोजक गोपाल लाल जाट ने इस मामले में जोरदार पैरवी की
📚 गवाही और दस्तावेजों के दम पर मिला न्याय
- 16 गवाहों के बयान और
- 20 दस्तावेजों के साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए
- बचाव पक्ष ने 3 गवाहों को पेश किया, लेकिन कोर्ट ने उन्हें अस्वीकार किया
- अंततः आरोपी को दोषी ठहराया गया
💡 क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
- यह निर्णय न्याय व्यवस्था में भरोसा जगाने वाला है
- नाबालिगों की सुरक्षा और अधिकारों को मजबूत करता है
- भविष्य में इस तरह के अपराधों को रोकने में निवारक भूमिका निभाएगा
👨👩👧 पीड़ित परिवार को मिला न्याय
- कोर्ट ने ₹2 लाख पीड़ित प्रतिकर राशि दिलाने का आदेश दिया है
- इससे पीड़िता के मानसिक और सामाजिक पुनर्वास में सहायता मिलेगी
- यह निर्णय पीड़िता और उसके परिवार के लिए एक मानवता भरा सहारा है

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🔖 निष्कर्ष
चित्तौड़गढ़ में दिया गया यह निर्णय केवल एक सजा नहीं, बल्कि समाज को चेतावनी है कि नाबालिगों के खिलाफ अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
यह फैसला महिला और बाल सुरक्षा कानूनों की शक्ति को दर्शाता है और न्यायपालिका की संवेदनशीलता को सामने लाता है।