उज्जैन – पवित्र शिप्रा नदी के शुद्धिकरण और सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को रामघाट पर अनोखा प्रदर्शन किया। इस जल सत्याग्रह में प्रदेशभर से आए शिव सैनिक शामिल हुए।
कार्यकर्ता पानी में खड़े होकर जोरदार नारेबाजी करते रहे और स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक ठोस आश्वासन नहीं मिलता, सत्याग्रह जारी रहेगा।
🚩 प्रदर्शन की मुख्य मांगें
- शिप्रा नदी का शुद्धिकरण – गंदगी और प्रदूषण हटाकर नदी को स्वच्छ बनाना।
- सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाना – मठ, मंदिर, स्कूल, श्मशान और अन्य सार्वजनिक स्थलों से अवैध कब्जा खत्म करना।
🗣 शिवसेना का आरोप
शिवसेना के राज्य प्रमुख सुनील शर्मा ने कहा –
“शिप्रा शुद्धिकरण हमारी प्रमुख मांग है। सीएम ने सभी जिलों के कलेक्टरों को सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक कई जगह कार्रवाई नहीं हुई है। यहां तक कि श्मशान और मंदिर की जमीन पर भी कब्जा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री उज्जैन से हैं, इसलिए उम्मीद थी कि शिप्रा शुद्धिकरण और अतिक्रमण हटाने पर जल्द कदम उठाए जाएंगे, लेकिन कार्रवाई न होने से शिवसेना को यह कदम उठाना पड़ा।
📍 जल सत्याग्रह का नज़ारा
- कार्यकर्ताओं ने शिप्रा का गंदा पानी बोतल में भरकर दिखाया
- नारेबाजी करते हुए कमर तक पानी में खड़े रहे
- “मां शिप्रा को बचाओ” और “अतिक्रमण हटाओ” के नारों से रामघाट गूंज उठा
- कई कार्यकर्ता महाराष्ट्र और अन्य जिलों से उज्जैन पहुंचे
🌊 शिप्रा नदी की स्थिति
शिप्रा नदी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से उज्जैन की पहचान है। सिंहस्थ जैसे महाकुंभ आयोजनों में इसकी अहम भूमिका रहती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसमें औद्योगिक कचरा, नालों का गंदा पानी और प्लास्टिक कचरे के कारण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
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