प्रतापगढ़

प्रतापगढ़: अवलेश्वर में खेतों में लगी आग से मची तबाही, ग्रामीणों की सूझबूझ से टली बड़ी अनहोनी

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🚜 गेहूं की फसल के डंठल में दोपहर को लगी भीषण आग

प्रतापगढ़ ज़िले के अवलेश्वर क्षेत्र में बुधवार दोपहर करीब 3 बजे अचानक गेहूं के कटे हुए डंठलों में आग लग गई। गर्मी और तेज़ हवा ने आग को विकराल बना दिया। खेतों में उठते धुएं और लपटों ने इलाके में हड़कंप मचा दिया।

🪣 ग्रामीणों ने खुद संभाली जिम्मेदारी

आग लगते ही स्थानीय ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और बाल्टियों से पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास करने लगे। लेकिन आग की तेज़ी के कारण उनकी कोशिशें नाकाफी रहीं। इसके बाद आसपास के गांवों से किसान भी मदद के लिए आए। उन्होंने दवा छिड़कने वाली टंकियों में पानी भरकर आग पर काबू पाने की कोशिश की।

🤝 एकजुटता और सूझबूझ से टली बड़ी तबाही

करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने खेतों की मेड़ों पर पानी डालकर आग के फैलाव को रोका। इस दौरान कई बीघा खेत का डंठल जलकर राख हो गया, लेकिन ग्रामीणों की सूझबूझ और एकजुटता से फसल और जान-माल की बड़ी हानि टल गई।

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🚒 दमकल की कमी ने बढ़ाई चिंता

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय में सिर्फ दो दमकल वाहन उपलब्ध हैं। दुर्भाग्यवश, घटना के वक्त दोनों दमकलें छोटीसादड़ी क्षेत्र के जंगलों में लगी आग को बुझाने गई हुई थीं। इस कारण अवलेश्वर में समय पर दमकल नहीं पहुंच सकी, जिससे आग को ग्रामीणों को ही बुझाना पड़ा।

📢 प्रशासन से मांग: गांवों में दमकल सुविधा बढ़ाई जाए

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ग्रामीण इलाकों में दमकल वाहनों की उपलब्धता बढ़ाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी आपातकालीन परिस्थितियों से समय रहते निपटा जा सके। किसानों का कहना है कि हर साल गर्मियों में आग की घटनाएं होती हैं और इस बार यदि ग्रामीण सक्रिय न होते, तो नुकसान कई गुना ज़्यादा हो सकता था।


🔎 निष्कर्ष

अवलेश्वर की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आग जैसी आपदाओं के लिए ग्रामीण इलाकों में बुनियादी संसाधनों की व्यवस्था कितनी जरूरी है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए दमकल और अन्य सुरक्षा साधनों की व्यवस्था गांवों तक पहुंचाए।


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