प्रतापगढ़

धरियावद में भगवान परशुराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 2025 – श्रद्धा, संस्कृति और एकता का संगम

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धरियावद, जो राजस्थान की सांस्कृतिक धरती पर एक विशेष स्थान रखता है, इन दिनों आध्यात्मिक उल्लास और धार्मिक भक्ति से सराबोर है। 12 से 14 अप्रैल 2025 तक चलने वाला भगवान परशुराम जी के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा अवसर बन गया है।

📍 आयोजन स्थल: ऋण मुक्तेश्वर महादेव परिसर, धरियावद

🗓 तिथि: 12 – 14 अप्रैल 2025

🙏 आयोजनकर्ता: सकल ब्राह्मण समाज एवं विप्र फाउंडेशन, धरियावद


🕉 12 अप्रैल 2025 – भव्य शोभायात्रा और धार्मिक आरंभ

महोत्सव का शुभारंभ 12 अप्रैल को सुबह 8 बजे भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। इस शोभायात्रा में पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि और रंग-बिरंगी झांकियों ने हर किसी का मन मोह लिया। स्थानीय जनता और श्रद्धालुओं ने भारी संख्या में भाग लेकर अपनी आस्था प्रकट की।

इसके पश्चात:

  • मंडप प्रवेश
  • गणेश स्थापना
  • स्थापित देव पूजन
  • नवग्रह हवन

रात्रि में सुंदरकांड पाठ का आयोजन हुआ, जिससे पूरा वातावरण राम भक्ति में डूब गया।


🔥 13 अप्रैल 2025 – रुद्र पूजन और दिव्य आरती

दूसरे दिन धार्मिक विधियों की श्रृंखला आगे बढ़ी:

  • लघु रुद्र पाठ
  • नंदी श्राद्ध पूजन
  • अग्नि स्थापना
  • रुद्र हवन
  • जलाभिषेक

इन सभी अनुष्ठानों का उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करना और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना था। रात्रि को विशाल आरती का आयोजन हुआ, जिसमें दूर-दराज़ से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया।


🏺 14 अप्रैल 2025 – कलश यात्रा, प्राण प्रतिष्ठा और महाप्रसादी

महोत्सव के अंतिम दिन का प्रारंभ हुआ कलश यात्रा के साथ, जो पूरे क्षेत्र में आस्था की झलक बन गई। इसके बाद भगवान परशुराम जी की छवि की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से की गई। आयोजन का समापन महाआरती और महाप्रसादी के साथ हुआ।


🧑‍🤝‍🧑 आयोजन में जनसमूह की सहभागिता

इस पूरे आयोजन में सकल ब्राह्मण समाज और विप्र फाउंडेशन की तहसील कार्यकारिणी, धरियावद की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने हर स्तर पर आयोजन को सफल बनाने हेतु योजनाबद्ध रूप से कार्य किया। सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया कि वे अपने परिवार सहित इस ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित होकर पुण्य लाभ अर्जित करें।


🔗 सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करता आयोजन

धरियावद का यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हिंदू संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। भगवान परशुराम जी जैसे तपस्वी और क्षत्रिय धर्म के रक्षक का मंदिर, इस क्षेत्र की आध्यात्मिक ऊर्जा को सशक्त बनाएगा।

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🧘 निष्कर्ष

भगवान परशुराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि एक ऐसा आयोजन है जो पूरे समाज को एकसूत्र में बांधता है। धरियावदवासियों के लिए यह महोत्सव गौरव, आस्था और एकजुटता का प्रतीक बन चुका है। आने वाले वर्षों में यह मंदिर धरियावद की एक आध्यात्मिक धरोहर के रूप में उभरेगा।