मंदसौर में श्रावण मास के तीसरे सोमवार को श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला जब भगवान पशुपतिनाथ की रजत प्रतिमा शाही पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकली। इस ऐतिहासिक अवसर पर हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ी, और पूरा शहर हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा।
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🚩 झांकियों और भक्ति संगीत से सजी पालकी यात्रा
युवा पालकी मंडल के नेतृत्व में निकाली गई इस पालकी यात्रा की भव्यता देखते ही बनती थी। शोभायात्रा में शामिल थीं:
- नासिक के ढोल – जिनकी गूंज से वातावरण रोमांचित हो उठा
- उज्जैन की डमरू पार्टी – शिवभक्ति का संगीतमय रूप
- तोप कड़ा बिन, अखाड़ा प्रदर्शन, और कालका माता की झांकी – धार्मिक शौर्य की प्रस्तुति
- राधा-कृष्ण रास – आध्यात्मिक प्रेम का मनमोहक दृश्य
- युवतियों का नृत्य – सांस्कृतिक उत्सव में चार चांद

विभिन्न शहरों से आए कलाकारों और झांकियों ने पालकी यात्रा की गरिमा को और भी भव्य बना दिया।
📸 तीन तस्वीरों में भक्ति का भाव
- पालकी यात्रा में सम्मिलित भक्तों की भीड़
- झांकियों और कलाकारों की प्रस्तुति
- ढोल-डमरू और अखाड़े का प्रदर्शन

🛕 पालकी मार्ग: हर कदम पर भक्ति का स्वागत
शाही पालकी यात्रा दोपहर को पशुपतिनाथ मंदिर से आरंभ हुई और पूरे शहर में भ्रमण करती रही। यात्रा मार्ग:
वीर सावरकर पुलिया → धान मंडी → शुक्ला चौक → नयापुरा रोड → गोल चौराहा → बीपीएल चौराहा → गांधी चौराहा → नेहरू बस स्टैंड → भारत माता चौराहा → घंटाघर → मंडी गेट → पशुपतिनाथ मंदिर
नगरवासियों और धार्मिक संस्थानों ने जगह-जगह फूल वर्षा, आरती, और भोग वितरण के साथ पालकी का स्वागत किया।

👮 सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
पूरे यात्रा मार्ग पर पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहे। हर मोड़ पर पुलिस कर्मियों की उपस्थिति ने श्रद्धालुओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया।

📖 13 वर्षों से जारी है यह भक्ति परंपरा
अजय भाटी, शयनकालीन आरती मंडल से जुड़े प्रतिनिधि ने बताया कि पिछले 13 वर्षों से यह शाही पालकी यात्रा निरंतर निकाली जा रही है। इस वर्ष भी कावड़ यात्रियों के साथ हजारों श्रद्धालु शामिल हुए और बाहर से आए कलाकारों व झांकियों ने आयोजन को और गौरवशाली बनाया।
