नीमच, मध्यप्रदेश:
झालरी गांव में उस वक्त मातम छा गया जब मिट्टी भराव के दौरान एक ट्रैक्टर पलट गया और इसके नीचे दबने से 22 वर्षीय युवक हेमंत मेघवाल की मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा न केवल एक परिवार का सहारा छीन ले गया, बल्कि गांवभर में शोक की लहर दौड़ गई।
💔 मजदूरी करने निकला था हेमंत, लौटकर कभी नहीं आया
मृतक की पहचान बडोली निवासी हेमंत मेघवाल के रूप में हुई है।
हेमंत के पिता चौथराम मेघवाल ने बताया,
“वह सुबह रोज की तरह मजदूरी के लिए निकला था। काम पर जाने से पहले उसने नाश्ता किया। हमें क्या पता था कि हम उसे आखिरी बार देख रहे हैं।”
हेमंत नंदराम गुर्जर चौथखेडा के यहां काम करता था और झालरी गांव में मिट्टी भराव का काम कर रहा था। कार्य के दौरान ही ट्रैक्टर असंतुलित होकर पलट गया, जिससे यह दुर्घटना घटी।
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🕊️ सपनों से भरा था हेमंत का जीवन
चौथराम बताते हैं कि उनके बेटे की उम्र अब शादी लायक हो गई थी।
“कुछ रिश्ते आए थे। इस साल उसके विवाह की योजना बना रहे थे। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था।”
हेमंत का जीवन संघर्ष से भरा था लेकिन उसके पास आगे बढ़ने के कई सपने थे। वो अपने परिवार का सहारा था और उसकी आकस्मिक मृत्यु ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है।
🏥 अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने किया मृत घोषित
हादसे के तुरंत बाद ग्रामीणों ने हेमंत को जिला अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
घटना की सूचना मिलते ही सिटी पुलिस टीम मौके पर पहुंची और कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और फिर परिजनों को सौंप दिया।
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🚨 जांच जारी, सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
पुलिस का कहना है कि मामले की जांच जारी है और दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है। हालांकि इस हादसे ने ग्रामीण कार्य स्थलों पर सुरक्षा के अभाव को उजागर कर दिया है।
क्या मिट्टी भराव कार्य के दौरान कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध था?
क्या ट्रैक्टर के पास हेल्पर या पर्यवेक्षक था?
इन सवालों के जवाब अभी बाकी हैं।
📢 प्रशासन से मुआवजे की मांग
ग्रामीणों और परिजनों ने प्रशासन से आर्थिक सहायता और मुआवजे की मांग की है।
गांव में एक ही सुर सुनाई दे रहा है –
“हेमंत को न्याय मिले और आगे से ऐसी घटनाएं ना हों।”
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🔚 निष्कर्ष
हेमंत मेघवाल की मौत एक दर्दनाक याद बनकर रह गई है। यह हादसा न सिर्फ एक परिवार की खुशियों को तबाह कर गया, बल्कि ग्रामीण विकास कार्यों में सुरक्षा के मानकों पर भी सवाल खड़े करता है।
इस तरह की घटनाएं तब तक नहीं रुकेंगी, जब तक मजदूरों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती।
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