प्रतापगढ़/उदयपुर/चित्तौड़गढ़: राजस्थान के दक्षिणी हिस्सों में बाल तस्करी, बाल श्रम और बंधुआ मजदूरी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, सलूंबर और उदयपुर जैसे इलाकों में ये गंभीर समस्या बन चुकी है।
गायत्री सेवा संस्थान उदयपुर, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन और चाइल्ड हेल्पलाइन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों (2022–2025) में सैकड़ों बच्चों को शोषण और बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया है।
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तीन साल के आंकड़े चौंकाने वाले
कुल रेस्क्यू और एफआईआर (2022–2025)
जिला | रेस्क्यू किए गए बच्चे | दर्ज एफआईआर |
---|---|---|
उदयपुर | 593 | 301 |
प्रतापगढ़ | 141 | 106 |
चित्तौड़गढ़ | 73 | 51 |
सलूंबर | 54 | 34 |
जिलेवार आंकड़े:
उदयपुर:
- 2023: 141 बच्चों का रेस्क्यू, 25 एफआईआर
- 2024: 78 बच्चों का रेस्क्यू, 28 एफआईआर
- 2025: 106 बच्चों का रेस्क्यू, 57 एफआईआर
प्रतापगढ़:
- 2023: 28 बच्चों का रेस्क्यू, 20 एफआईआर
- 2024: 50 बच्चों का रेस्क्यू, 31 एफआईआर
- 2025: 63 बच्चों का रेस्क्यू, 55 एफआईआर
सलूंबर:
- 2023-2024: कोई मामला दर्ज नहीं
- 2025: 54 बच्चों का रेस्क्यू, 34 एफआईआर
चित्तौड़गढ़:
- 2023-2024: कोई मामला दर्ज नहीं
- 2025: 73 बच्चों का रेस्क्यू, 51 एफआईआर
प्रमुख केस स्टडी
केस 1: उदयपुर (झाड़ोल)
रमेश नामक व्यक्ति 14 बच्चों को गुजरात मजदूरी के लिए ले जा रहा था। बच्चों के माता-पिता को पढ़ाई का लालच देकर बहकाया गया।
गायत्री सेवा संस्थान और पुलिस की तत्परता से बच्चों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। अब सभी बच्चे स्कूल में लौट चुके हैं।
केस 2: प्रतापगढ़
शाहिद हुसैन (किशोर) रोज 8.5 घंटे बाइक रिपेयर सेंटर पर काम कर मात्र ₹100 कमाता था।
संस्था और पुलिस की मदद से उसे बचाया गया। अब उसे आर्थिक सहायता मिली है और वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है।
केस 3: चित्तौड़गढ़ (कपासन)
दस वर्षीय चिराग को उसका मामा बंधुआ मजदूरी के लिए एक घर में छोड़ गया। एक साल तक शारीरिक श्रम और मारपीट झेलने के बाद वह रतलाम भाग निकला।
रास्ते में चित्तौड़गढ़ में उसे रेस्क्यू किया गया। बाल कल्याण समिति ने ₹30,000 की राहत राशि और पुनर्वास दिलाया।
समस्या की जड़:
- आर्थिक तंगी
- शिक्षा की कमी
- सूचना का अभाव
- संगठित बाल तस्करी नेटवर्क
संवेदनशीलता और सजगता ही समाधान
इन मामलों से स्पष्ट होता है कि संवेदनशील संस्थाएं, सजग पुलिस और जागरूक समाज मिलकर बच्चों को शोषण से बचा सकते हैं।
इसके लिए निम्न कदम जरूरी हैं:
- स्कूल ड्रॉपआउट्स पर निगरानी
- ग्राम स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम
- तत्पर रेस्क्यू टीम और हेल्पलाइन का सक्रिय संचालन
- बाल श्रम रोकने के लिए कठोर कार्रवाई

अभी भी बहुत कुछ करना बाकी
भले ही आंकड़े बताते हैं कि बच्चों को रेस्क्यू किया जा रहा है, लेकिन यह भी साबित हो रहा है कि संकट पहले से कहीं ज्यादा गहरा है।
सरकारी एजेंसियों और सामाजिक संगठनों को मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालना होगा ताकि हर बच्चा अपने सपनों की उड़ान भर सके।
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