गरीबी, संघर्ष और मेहनत से लिखा सफलता का नया अध्याय, खेत पर बने ट्रैक से शुरू हुई बेटियों की उड़ान
नीमच | जावद — सफलता महलों की मोहताज नहीं होती, यह बात सच कर दिखाई है जावद के किसान भरत शर्मा और उनकी बेटियों ने। जीवन भर संघर्ष और सीमित संसाधनों के बावजूद, यह परिवार आज पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन चुका है। झोपड़ी में रहने वाले किसान की चारों बेटियों ने वर्दी पहनने का सपना देखा और उसे हकीकत में बदल दिया।
👉 ऐसे और प्रेरणादायक समाचारों के लिए देखें: MewarMalwa.com
🌱 झोपड़ी से जज़्बे तक: पिता ने बोया आत्मनिर्भरता का बीज
भरत शर्मा के पास केवल 2 बीघा जमीन है और उसी पर बना एक कच्चा मकान। टीवी तक नहीं है, लेकिन सोच और सपनों की ऊँचाई किसी महल से कम नहीं। उन्होंने अपनी बेटियों को सिखाया – “मैं पढ़ा सकता हूँ, लेकिन आत्मनिर्भर तुम्हें ही बनना होगा।”
“Dangal” फिल्म से प्रेरणा लेकर भरत ने अपने खेत पर ही ट्रैक बनवाया और बेटियों को दौड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। गांव वालों ने इन्हें ‘दंगल-2’ की बेटियां कहना शुरू कर दिया।
👮♀️ बेटियों की उपलब्धियां: एक खेत से चार वर्दियां
बेटी | उपलब्धि |
---|---|
कल्पना शर्मा | असम राइफल्स में चयनित, वर्तमान में सेवा दे रही हैं |
संजना शर्मा | एमपी पुलिस में आरक्षक पद पर चयन, फिजिकल में 100 में से 96 अंक, म.प्र. में 5वीं रैंक |
सुमन शर्मा | BSF का फिजिकल क्लियर, इंटरव्यू बाकी |
अनीता शर्मा | नेशनल लांग जंप में भाग लिया, अभी B.A. फर्स्ट ईयर में और एयरफोर्स भर्ती की तैयारी कर रही हैं |
🏃♀️ खेत बना खेल मैदान, सपना बना हकीकत
2016 में जब आम लोग दंगल फिल्म देखकर निकल गए, तब भरत शर्मा और उनकी बेटियों ने उसे जीवन का मिशन बना लिया। उन्होंने खेत पर जॉगिंग ट्रैक, कसरत की जगहें बनाई और सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते हुए, खेलों में लगातार भागीदारी जारी रखी।
👉 नीमच जिले की खेल प्रतिभाओं पर विशेष कवरेज: MewarMalwa.com
🎯 “शादी नहीं, सपना पहले” — बेटियों की दृढ़ता और माता-पिता का समर्थन
संजना बताती हैं कि जब भी समाज या रिश्तेदारों ने कहा कि “अब शादी का समय हो गया है”, तो परिवार ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उनकी मां ने कभी घरेलू काम का दबाव नहीं डाला, बल्कि हमेशा बेटियों को प्रेरित किया कि तुम्हारी मेहनत एक दिन रंग लाएगी।
💬 बेटी संजना के शब्दों में साहस
“हम गरीब जरूर थे, लेकिन सपने महंगे थे। मां-बाप ने जो संघर्ष किया, उसे व्यर्थ नहीं जाने देंगे। एमपी पुलिस के फिजिकल में मैं टॉप पर रही और मध्यप्रदेश में मेरी रैंक पांचवीं आई।”
बेटियों ने सिर्फ वर्दी नहीं पहनी, बल्कि समाज की सोच को भी बदला कि बेटियां बोझ नहीं, बल्कि गर्व की पहचान होती हैं।
📸 फोटो गैलरी: खेत से देश सेवा तक की यात्रा
(यहां आप वर्डप्रेस में एक इमेज गैलरी जोड़ सकते हैं जिसमें खेत पर प्रैक्टिस करती बेटियों की तस्वीरें, नियुक्ति की तस्वीरें आदि हों)
🚀 निष्कर्ष: संघर्ष ही सबसे बड़ा शिक्षक होता है
भरत शर्मा और उनकी बेटियां इस बात का उदाहरण हैं कि संसाधनों की कमी, सपनों की उड़ान नहीं रोक सकती। उन्होंने साबित किया कि मेहनत, आत्मविश्वास और परिवार के समर्थन से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
👉 ऐसे ही और जीवन बदल देने वाले लेख पढ़ें: MewarMalwa.com