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रतलाम कोर्ट का बड़ा फैसला: चितावद गांव में हत्या के केस में एक पक्ष को उम्रकैद, दूसरे को पांच साल की सजा

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2017 में तालाब से पानी निकालने के विवाद ने लिया खूनी रूप, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

रतलाम, मध्यप्रदेश:
चितावद गांव के एक मामूली से विवाद ने 2017 में भयावह रूप ले लिया था। सरकारी तालाब से पानी निकालने को लेकर दो पक्षों में शुरू हुआ झगड़ा हत्या और हमले में तब्दील हो गया। अब रतलाम जिला न्यायालय ने इस चर्चित हत्याकांड पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
एक पक्ष के तीन आरोपियों को आजीवन कारावास, वहीं दूसरे पक्ष के तीन को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है।

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⚖️ कोर्ट का निर्णय: हत्या और हमले का मिला न्यायिक उत्तर

सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव की कोर्ट ने मामले के तथ्यों, मेडिकल रिपोर्ट और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों को सजा दी।

🔴 आजीवन कारावास पाने वाले आरोपी:

  • दिलीप सिंह पिता शंभू सिंह
  • योगेंद्र सिंह पिता दिलीप सिंह
  • जितेंद्र सिंह उर्फ भोम सिंह पिता महिपाल सिंह राठौड़

धाराएं एवं सजाएं:

  • धारा 302 – आजीवन कारावास + ₹10,000 जुर्माना
  • धारा 307 – 7 साल + ₹2,000 जुर्माना
  • धारा 323 – 6 माह + ₹500 जुर्माना

🟠 पांच साल की सजा पाने वाले आरोपी:

  • शहादत हुसैन
  • असलम नूर
  • शरीफ खान

सजा:

  • 5 साल की जेल + ₹2,000 जुर्माना प्रति आरोपी

🕵️‍♂️ क्या था मामला?

11 फरवरी 2017 की रात करीब 9:15 बजे चितावद गांव के तालाब पर पानी की मोटर चालू को लेकर विवाद शुरू हुआ। फरियादी असलम खां के अनुसार, दिलीप सिंह ने ताज मोहम्मद से मोटर बंद करने को कहा। इंकार करने पर दिलीप सिंह के साथियों महिपाल सिंह, भीम सिंह, लोकेंद्र सिंह, तेज बहादुर सिंह ने ताज मोहम्मद पर लोहे की रॉड से हमला किया।

जब शहादत हुसैन और अन्य उसे बचाने आए, तो उन्हें भी गंभीर चोटें आईं। हमले में ताज मोहम्मद की मौत हो गई।
इस पर थाना बिलपांक में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302, 147, 148, 149, 323 के तहत केस दर्ज किया गया।


👨‍⚕️ डॉक्टर की रिपोर्ट बनी निर्णायक सबूत

मेडिकल रिपोर्ट में डॉ. मुकेश डाबर और डॉ. भरत निनामा ने पुष्टि की कि ताज मोहम्मद की मौत छाती में लोहे के पाइप व पेंचकस से हमला होने से हुई थी।
मृतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और घटनास्थल से जब्त हथियारों ने कोर्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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⚔️ फ्री फाइट: दोनों पक्षों ने दर्ज कराई थी रिपोर्ट

दिलचस्प बात यह रही कि दूसरे पक्ष (दिलीप सिंह) ने भी हमला होने का दावा किया और शहादत, असलम और शरीफ पर धारा 307 व 34 के तहत केस दर्ज कराया।
फ्री फाइट की स्थिति में एक पक्ष से एक की मृत्यु, दो घायल और दूसरे पक्ष से तीन घायल हुए थे।


👨‍⚖️ दोनों केस एक साथ कोर्ट में चले

चूंकि मामला क्रॉस केस का था, दोनों ही केस सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव की अदालत में एक साथ चले।
मामले में पैरवी अपर लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने की। कोर्ट ने सभी गवाहों, घटनास्थल के निरीक्षण और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सजा सुनाई।


🔚 निष्कर्ष: गांव का तालाब बना न्यायालय का गवाह

चितावद गांव की यह घटना बताती है कि छोटी सी कहासुनी भी गंभीर अपराध का रूप ले सकती है। यह मामला सिर्फ हत्या का नहीं, न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता और सटीक जांच का भी उदाहरण बन गया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया।


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