चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ में महावीर जयंती की भव्य शोभायात्रा: अहिंसा, संयम और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम

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चित्तौड़गढ़, राजस्थान — 10 अप्रैल, 2025: चित्तौड़गढ़ में गुरुवार को महावीर जयंती के पावन अवसर पर जैन समाज द्वारा निकाली गई भव्य शोभायात्रा ने पूरे नगर को अध्यात्म, अहिंसा और सत्य के संदेश से ओतप्रोत कर दिया।


प्राचीन गांधी चौक से शुरू हुई अध्यात्मिक यात्रा

इस पावन शोभायात्रा की शुरुआत गांधी चौक स्थित खातर महल से हुई, जो नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई दिगंबर जैन आचार्य श्री विद्यासागर मांगलिक धाम तक पहुंची। यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं रही, बल्कि समाज में अहिंसा और आत्मानुशासन की चेतना जागृत करने वाली प्रेरणास्रोत सिद्ध हुई।

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प्रभात फेरी में दिखा भक्तिभाव और जनभागीदारी

सुबह-सवेरे नगर की गलियों में प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। “अहिंसा परमो धर्मः” और “जय महावीर” के नारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा।


शोभायात्रा की झलकियाँ: धर्म, संस्कृति और सौहार्द

🎉 पारंपरिक वेशभूषा और धार्मिक उत्साह

  • पुरुषों ने सफेद वस्त्र, महिलाओं ने केसरिया साड़ियाँ पहनीं
  • भगवान महावीर की झांकी को फूलों और रोशनी से भव्य रूप से सजाया गया
  • बैंड-बाजों की मधुर धुन और भजन-कीर्तन से नगर झूम उठा

🌸 नगरवासियों ने किया फूलों और जलपान से स्वागत

शोभायात्रा जब गोल प्याऊ, सुभाष चौक, नेहरू चौक, पुराना बस स्टैंड से गुजरी तो जगह-जगह फूल वर्षा और शीतल जलपान की व्यवस्था की गई। लोगों ने जयघोषों के साथ उत्सव का स्वागत किया।


विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने दिया शुभ संदेश

विधायक आक्या ने सहकार सर्किल पर शोभायात्रा का स्वागत किया। उन्होंने भगवान महावीर के दर्शन कर सभी को गर्मी से राहत देने के लिए आइसक्रीम वितरित की। उनके साथ पूर्व सभापति सुशील कुमार शर्मा, पूर्व यूआईटी चेयरमैन सुरेश झांवर, पार्षद अनिल ईनाणी, और कई अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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भगवान महावीर: अहिंसा और संयम के प्रतीक

मुख्य समारोह में वक्ताओं ने भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत – सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह – पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी का जीवन त्याग, तपस्या और सेवा से प्रेरणादायक रहा है। वे केवल जैन धर्म के नहीं, अपितु संपूर्ण मानवता के मार्गदर्शक हैं।


समरसता और समाज की एकता का उदाहरण

इस शोभायात्रा ने न सिर्फ जैन समाज को जोड़ा, बल्कि पूरे नगर को धार्मिक एकता और सामाजिक समरसता के सूत्र में बांध दिया। सभी समुदायों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और एक साथ संयम, सदाचार और सत्यनिष्ठा का संदेश दिया।


कार्यक्रम का समापन: विद्यासागर मांगलिक धाम में सामूहिक प्रार्थना

समारोह का समापन सामूहिक प्रार्थना और प्रवचन के साथ हुआ, जिसमें मुनियों ने प्रेरणादायी कथाओं के माध्यम से आत्मशुद्धि और ध्यान के महत्व को बताया।


निष्कर्ष

चित्तौड़गढ़ की यह महावीर जयंती शोभायात्रा एक धर्मिक आयोजन से कहीं अधिक, समाज के लिए एक आध्यात्मिक जागरूकता अभियान साबित हुई। इससे यह स्पष्ट हुआ कि भगवान महावीर के सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने हजारों वर्ष पहले थे।


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