सावित्री बाई फुले विकास सेवा संस्थान की ओर से शुक्रवार को महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर समाज के कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और फुले दंपती को भारत रत्न देने की मांग को फिर से जीवंत किया।
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🌟 फुले दंपती को भारत रत्न देने की मांग
कार्यक्रम में विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने महात्मा फुले की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने केंद्र सरकार से यह मांग की कि महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को उनके शिक्षा और समाज सुधार में अद्वितीय योगदान के लिए भारत रत्न से नवाजा जाए।
“फुले दंपती का कार्य आज भी सामाजिक न्याय, समानता और शिक्षा के क्षेत्र में हमें प्रेरणा देता है।”
– चंद्रभान सिंह आक्या, विधायक
🔁 समाज में गूंज उठी एकता की पुकार
राज्य महामंत्री राजन माली ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि समाज को प्रेरणा देने वाले महापुरुषों को देश का सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए, ताकि उनके विचार और अधिक व्यापकता से समाज तक पहुंच सकें।
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📚 शिक्षा से जोड़ा वंचितों को
महात्मा फुले केवल एक विचारक या शिक्षक नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी समाज सुधारक थे। उन्होंने महिलाओं के लिए पहले स्कूल की स्थापना की और वंचित व पिछड़े वर्गों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा।
संस्थान के महामंत्री कन्हैयालाल मावर ने कहा कि महात्मा फुले ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया और एक समतामूलक समाज का सपना देखा।
👥 शामिल हुए समाज के प्रमुख चेहरे
इस विशेष आयोजन में भाग लेने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल रहे:
- हेमराज करोड़ीवाल (अध्यक्ष)
- शिवप्रकाश माली (उपाध्यक्ष)
- नंदलाल दगदी (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
- कन्हैया लाल दगदी (महामंत्री)
- रतन दगदी, सुशील शर्मा, भरत जागेटिया, ओम शर्मा सहित कई अन्य।
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🌱 युवाओं के लिए आदर्श हैं फुले दंपती
सभी वक्ताओं ने अपने संबोधन में इस बात पर बल दिया कि आज के सामाजिक परिदृश्य में फुले दंपती के विचार अत्यंत प्रासंगिक हैं।
समानता, आत्मसम्मान और शिक्षा जैसे मूल्य नई पीढ़ी को एक सशक्त दिशा प्रदान करते हैं।
“फुले दंपती के विचारों पर चलकर हम एक समरस, समतामूलक और शिक्षित समाज बना सकते हैं।”
कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को जागरूक करना और उन्हें महापुरुषों की प्रेरक विचारधारा से जोड़ना था।
🏅 भारत रत्न की मांग क्यों जरूरी?
फुले दंपती के योगदान को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देना सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के मूल्यों को सम्मानित करने का कार्य होगा।
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📌 निष्कर्ष: फुले दंपती – आज भी प्रासंगिक, आज भी प्रेरक
महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले ने जिन मूल्यों की नींव रखी थी, वे आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा, नारी सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय—इन सभी क्षेत्रों में उन्होंने जो मार्ग दिखाया, वह आज की पीढ़ी के लिए प्रकाशपुंज है।
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