चित्तौड़गढ़ के धावक और सामाजिक कार्यकर्ता पृथ्वीराज खटीक ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती के अवसर पर अपनी 10वीं मैराथन पूरी कर, न केवल बाबा साहेब को नमन किया बल्कि हाल ही में दिवंगत हुई अपनी मां को भी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह दौड़ खेल से कहीं अधिक एक भावनात्मक और सामाजिक संदेश बन गई।
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🌹 मां को समर्पित दौड़: एक संजीदा संदेश
पृथ्वीराज खटीक ने 14 अप्रैल को झांतला माता मंदिर से मैराथन की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने अपनी मां के नाम की विशेष टी-शर्ट पहन रखी थी, जिसमें सीने पर मां का नाम अंकित था और हाथ में तिरंगा लहरा रहा था।
उन्होंने कहा:
“मां शब्द अपने आप में संपूर्ण है। जीवन में चाहे कितने भी रिश्ते बना लें, मां के बिना सब अधूरा है।”
यह दौड़ एक निजी श्रद्धांजलि के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता का भी प्रतीक बन गई।
🏁 झांतला माता से बाबा साहेब की प्रतिमा तक
इस 55 मिनट की मैराथन में पृथ्वीराज ने झांतला माता मंदिर से लेकर किला रोड स्थित बाबा साहेब अम्बेडकर की प्रतिमा तक दौड़ लगाई। वहाँ पहुंचकर उन्होंने प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया।
इस आयोजन में अनेक जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। प्रमोद सिसोदिया और उमेश त्रिपाठी ने हरी झंडी दिखाकर दौड़ का शुभारंभ किया।
🤝 साथ दौड़े कई प्रेरणादायक चेहरे
इस विशेष मैराथन में पृथ्वीराज के साथ शामिल हुए:
- वरिष्ठ धावक सुरेश शर्मा (70 वर्ष)
- एएसआई कालूराम, राकेश माली, वीरेंद्र सिंह, दिनेश गुर्जर
- चक्षु शर्मा, गोटू अली, पंकज मीणा, साहिल घारू आदि
इन सभी धावकों ने अपनी भागीदारी से इस आयोजन को और भी प्रेरणादायक और भावनात्मक बना दिया।
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🏆 अब तक 45 मैराथन पूरी कर चुके हैं पृथ्वीराज
पेशेवर धावक के रूप में पृथ्वीराज खटीक अब तक 45 मैराथन दौड़ चुके हैं।
- अम्बेडकर जयंती पर लगातार 10वीं बार उन्होंने विशेष मैराथन आयोजित की।
- इस बार यह दौड़ निजी भावना और मां की यादों से गहराई से जुड़ी हुई थी।
उनकी मां का निधन 12 मार्च को हुआ था। उसी स्मृति को हमेशा जीवित रखने के लिए उन्होंने इस बार की दौड़ को मां की याद में समर्पित किया।
📜 बाबा साहेब से प्रेरित सामाजिक चेतना
पृथ्वीराज का मानना है कि बाबा साहेब ने भारत को संविधान देकर हर नागरिक को समानता और सम्मान का जीवन जीने का अधिकार दिया।
उन्हें यह प्रेरणा हर वर्ष 14 अप्रैल को कुछ नया और सार्थक करने की प्रेरणा देती है। इस बार, यह दौड़ उनके लिए सिर्फ सामाजिक जिम्मेदारी नहीं थी — बल्कि यह उनके जीवन की सबसे भावुक और यादगार दौड़ बन गई।
🎖️ आयोजन का सम्मान
मैराथन समाप्ति पर अम्बेडकर विचार मंच के अध्यक्ष सुरेश खोईवाल, हंसराज सालवी व अन्य सदस्यों ने पृथ्वीराज और पूरी टीम का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
यह आयोजन चित्तौड़गढ़ की धरती पर सामाजिक समरसता, प्रेरणा और राष्ट्रीय एकता का एक बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरा।
🧠 निष्कर्ष: दौड़ से अधिक एक भावना
पृथ्वीराज खटीक की यह दौड़ केवल कदमों का सफर नहीं था — यह एक मां के प्रति श्रद्धा, समाज के प्रति जिम्मेदारी और बाबा साहेब के आदर्शों के प्रति आस्था की दौड़ थी।
ऐसे आयोजन आज के युवाओं को सकारात्मक सोच, सामाजिक चेतना और प्रेरणा की राह दिखाते हैं।
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