गरोठ (मंदसौर), मध्यप्रदेश – मध्यप्रदेश के गरोठ क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक बैंक कियोस्क संचालक ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर पर बिना अनुमति बीमा कराने और फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। पीड़ित आयुष पोरवाल ने इस मामले को जनसुनवाई में एसडीएम चंदर सिंह सोलंकी के समक्ष उठाया है।
📋 बीमा कराने के नाम पर लिया 42,000 रुपए
पीड़ित आयुष पोरवाल ने बताया कि जब वे बैंक कियोस्क शुरू करने की प्रक्रिया में थे, तब सेंट्रल बैंक के मैनेजर हेमराज कुम्हार ने उन्हें कहा कि बीमा कराना अनिवार्य है। उन्होंने 8 अगस्त 2024 को ₹42,000 की बीमा राशि जमा कर दी, इस आश्वासन पर कि दो साल बाद पूरी राशि लौटा दी जाएगी।
“मैनेजर ने कहा था कि बीमा के बिना कियोस्क शुरू नहीं होगा, लेकिन बाद में पता चला कि ऐसा कोई नियम ही नहीं है।” – आयुष पोरवाल
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🕵️♂️ बीमा पॉलिसी में गड़बड़ियां – फर्जी नॉमिनी और गलत ईमेल/मोबाइल
बड़ा खुलासा तब हुआ जब आयुष को बीमा पॉलिसी के दस्तावेज डाक से प्राप्त हुए। उसमें कई अनियमितताएं देखने को मिलीं:
- नॉमिनी के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए।
- बीमा दस्तावेज़ों में दर्ज ईमेल और मोबाइल नंबर गलत थे।
- पॉलिसी की भाषा और नियम स्पष्ट नहीं थे।
- बीमा कराने की अनिवार्यता पूरी तरह से झूठ थी, जो बाद में अन्य कियोस्क संचालकों से पुष्टि हुई।
❌ मैनेजर ने पैसे लौटाने से किया इनकार
जब आयुष ने मैनेजर से पैसे लौटाने की मांग की, तो जवाब मिला:
“अब बीमा कंपनी वाले पैसे खा गए हैं, जो करना है कर लो।”
यह रवैया न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि एक सरकारी बैंक के अधिकारी द्वारा की गई गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
🏛️ शिकायत एसडीएम से लेकर कलेक्टर और लीड बैंक तक
आयुष ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए अपनी पूरी राशि वापसी की मांग की है। उन्होंने यह भी बताया कि शिकायत की प्रति मंदसौर कलेक्टर कार्यालय और सेंट्रल बैंक के लीड बैंक अधिकारी को भी भेज दी गई है।
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🤐 बैंक मैनेजर का बयान – “नो कमेंट”
जब मीडिया ने सेंट्रल बैंक मैनेजर हेमराज कुम्हार से इस विषय में प्रतिक्रिया चाही, तो उन्होंने जवाब दिया:
“इस विषय पर मैं कोई कमेंट नहीं करना चाहता।”
यह उत्तर कहीं न कहीं इस पूरे मामले को और भी संदेहास्पद बना देता है।
📢 नागरिकों के लिए अलर्ट: कियोस्क खोलते समय इन बातों का ध्यान रखें
- बैंक द्वारा मांगे गए हर डॉक्यूमेंट और राशि की लिखित पुष्टि लें।
- बीमा या अन्य सेवाओं की अनिवार्यता की जानकारी संबंधित गाइडलाइन से सत्यापित करें।
- किसी भी संदेहजनक व्यवहार पर सीधे SDM, कलेक्टर या बैंक के उच्चाधिकारियों से संपर्क करें।
✅ निष्कर्ष: जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारियों की जवाबदेही ज़रूरी
इस तरह की घटनाएं बैंकों में पारदर्शिता और जवाबदेही को सवालों के घेरे में लाती हैं। यदि शिकायतें यूं ही दबा दी जाएं, तो आम नागरिकों का विश्वास संस्थाओं से उठ जाएगा। उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही इस मामले में उचित कार्रवाई करेगा और पीड़ित को न्याय मिलेगा।
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