प्रतापगढ़ जिले के कुलथाना गांव में सोमवार को ज़मीन की नपाई के दौरान एक पुराना विवाद इस कदर भड़क उठा कि मामला सीधे चाकूबाजी तक पहुंच गया। इस खूनी संघर्ष में दोनों पक्षों के कुल पांच लोग घायल हो गए, जिन्हें तत्काल इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते ज़मीनी विवादों की गंभीरता को भी उजागर करती है।
📌 क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, कुलथाना गांव में 2004 से चल रहे ज़मीनी विवाद की निपटान प्रक्रिया के तहत सोमवार को संबंधित जमीन की नपाई (पैमाइश) की जा रही थी। इस दौरान मौके पर मौजूद थे:
- राहुल बैरागी, मुकेश बैरागी, मनीष बैरागी और अंकित सेन – जो पहले पक्ष का हिस्सा हैं।
- तभी वहां पहुंचे दूसरे पक्ष के लोग – गंवरीलाल पाटीदार, मनीष पाटीदार, जयप्रकाश पाटीदार और नंदकिशोर पाटीदार।
नाप-जोख के दौरान कहासुनी शुरू हुई, जो देखते ही देखते हिंसक झड़प में तब्दील हो गई। विवाद इतना बढ़ गया कि चाकुओं से हमला किया गया। घायल पक्षों के परिजनों और गांववालों में डर और आक्रोश व्याप्त है।
🚔 प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद चाकूबाजी
हैरानी की बात यह है कि घटना के वक्त गिरदावर और पटवारी मौके पर मौजूद थे। प्रशासनिक कार्यवाही के बीच हुई यह चाकूबाजी प्रशासनिक सुरक्षा तंत्र पर भी सवाल खड़े करती है।
हथुनिया थाना प्रभारी इंद्रजीत परमार घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे और घायलों के बयान दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह पुष्टि हुई है कि विवाद लंबे समय से चला आ रहा था, और सोमवार को हो रही नपाई से पहले ही तनाव की स्थिति थी।
👇 जानिए क्यों बढ़ रहे हैं ग्रामीण ज़मीन विवाद
- सीमांकन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी
- पुराने विवादों का समय पर समाधान न होना
- स्थानीय राजनीति का हस्तक्षेप
- प्रशासनिक कार्रवाई में ढिलाई
- ग्रामीणों में कानूनी जागरूकता की कमी

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🔍 निष्कर्ष:
प्रतापगढ़ के कुलथाना गांव की यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विवाद की भयावहता को उजागर करती है। प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में सतर्कता बढ़ाए, भूमि नपाई से पहले पुलिस सुरक्षा अनिवार्य करे और पुराने विवादों का समुचित समाधान जल्द से जल्द सुनिश्चित करे। अन्यथा, इस तरह की घटनाएं ग्रामीण शांति व्यवस्था को लगातार प्रभावित करती रहेंगी।
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✍️ रिपोर्ट: मेवाड़-मालवा डेस्क