नीमच, 5 अप्रैल — न्याय की रक्षा करने वाले वकील खुद न्याय के लिए सड़क पर उतर आए हैं। नीमच ज़िले के वकील पिछले चार दिनों से नए कोर्ट परिसर में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर धरने पर बैठे हैं। शुक्रवार को वकीलों ने पुराने कोर्ट परिसर से एक मौन जुलूस निकाला, जिसने शहर के प्रमुख मार्गों और चौराहों से गुजरते हुए जनसमर्थन भी बटोरा।
🏛️ न्याय की जगह असुविधा: क्या यही नया कोर्ट परिसर है?
1 अप्रैल 2025 से वकीलों ने नए कोर्ट परिसर में कार्य करने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि बुनियादी सुविधाओं जैसे कि बैठने की व्यवस्था, पानी, शौचालय, शेड, फर्नीचर और इंटरनेट तक की व्यवस्था नहीं है। इस कारण वकील और उनके मुवक्किल दोनों को असुविधा हो रही है।
“हम नए परिसर में काम करना चाहते हैं, लेकिन बिना सुविधाओं के यह असंभव है। जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं, हम काम पर नहीं लौटेंगे।” — वरिष्ठ अधिवक्ता
🧘♂️ मौन जुलूस बना आवाज़: जनसमर्थन के साथ निकली शांति की रैली
शुक्रवार को वकीलों ने पुराने कोर्ट परिसर से शांतिपूर्ण मौन जुलूस निकाला। जुलूस के दौरान वकील तिरंगा झंडा और अपने मांगों वाले बैनर लेकर चल रहे थे। शहरवासियों ने पुष्प वर्षा, फूलों की माला, और राजस्थानी साफा पहनाकर वकीलों के संघर्ष को समर्थन दिया।
👉 सामाजिक संगठनों ने भी वकीलों के इस आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि “न्याय के मंदिर में अधिवक्ताओं को सम्मान और सुविधा मिलनी चाहिए।”
📢 वकीलों की प्रमुख मांगे:
- नए कोर्ट परिसर में बैठने की समुचित व्यवस्था
- शुद्ध पेयजल, शौचालय, और बिजली की उपलब्धता
- कर्मचारियों और मुवक्किलों के लिए छाया व्यवस्था
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर – इंटरनेट और वाई-फाई कनेक्टिविटी
- अधिवक्ताओं के लिए स्टाफ रूम और चेंबर की सुविधा
👁️🗨️ क्या कहती है संवैधानिक भावना?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39-A न्याय तक समान पहुंच की बात करता है। अगर अधिवक्ताओं को ही न्यायिक कार्य में सुविधा नहीं मिलती, तो समान न्याय प्रणाली का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा।

Neemuch #AdvocateProtest #LawyersDemand #CourtInfrastructure #JusticeDelayed #SilentProtest #NeemuchNews #मौनजुलूस #वकीलआंदोलन #न्यायिकसुविधाएं #बुनियादी_अधिकार