🔹 24 घंटे में 2 और एक महीने में 8 लोगों की मौत
उदयपुर, राजस्थान: झीलों की नगरी उदयपुर पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण केंद्र है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता, खासकर फतेहसागर झील और पिछोला झील, दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। लेकिन पिछले कुछ समय से इन झीलों का एक और चेहरा सामने आ रहा है। ये झीलें ‘सुसाइड स्पॉट’ बनती जा रही हैं, जिससे स्थानीय लोग चिंतित हैं।
🔹 1 महीने में 8 और 24 घंटे में 2 मौतें
सिविल डिफेंस की रिपोर्ट के अनुसार, 2 मार्च से अब तक 8 लोगों ने इन जलाशयों में कूदकर आत्महत्या की है। हाल ही में पिछले 24 घंटे में ही 2 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे उदयपुर के नागरिकों और प्रशासन में चिंता बढ़ गई है।
🔹 सुरक्षा को लेकर उठी मांग
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से CCTV कैमरे लगाने और 24 घंटे गार्ड की तैनाती की मांग की है, ताकि आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोका जा सके। लेकिन नगर निगम और प्रशासन की ओर से इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
🔹 SP का बयान: पुलिस गश्त कर रही है लेकिन…
इस मामले में उदयपुर के पुलिस अधीक्षक (SP) योगेश गोयल ने बताया कि पुलिस द्वारा झीलों के किनारे पेट्रोलिंग की जाती है, लेकिन यह क्षेत्र नगर निगम के अंतर्गत आता है। वहीं, नगर निगम आयुक्त राम प्रकाश किसी भी जवाबदेही से बचते नजर आ रहे हैं।
🔹 युवक की तलाश के दौरान युवती का शव भी मिला
सबसे ज्यादा आत्महत्या की घटनाएं फतेहसागर झील में हो रही हैं। मंगलवार को जालोर निवासी एक युवक बोटिंग के दौरान लाइफ जैकेट उतारकर पानी में कूद गया। SDRF और सिविल डिफेंस की टीम 42 घंटे से अधिक समय तक उसकी तलाश कर रही थी, तभी झील से एक अज्ञात युवती का शव भी बरामद हुआ। हालांकि, युवती की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
🔹 स्थानीय लोगों की राय: “नगर निगम की लापरवाही”
स्थानीय नागरिक सिद्धार्थ सोनी ने प्रशासन की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा,
“लंबे समय से मांग की जा रही है कि झीलों के किनारे CCTV कैमरे लगाए जाएं और सुरक्षा गार्डों की नियुक्ति की जाए। लेकिन प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। फतेहसागर अब ‘मौत का सागर’ बन चुका है।”

🔹 समाधान क्या हो सकता है?
- CCTV कैमरे लगाना: आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोकने के लिए झीलों के किनारे उच्च गुणवत्ता वाले नाइट-विज़न CCTV कैमरे लगाए जाने चाहिए।
- सुरक्षा गार्डों की नियुक्ति: संवेदनशील स्थानों पर 24×7 सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाने चाहिए।
- साइकोलॉजिकल हेल्पडेस्क: झीलों के पास मेंटल हेल्थ अवेयरनेस पोस्टर और हेल्पडेस्क बनाई जानी चाहिए, जिससे मानसिक रूप से परेशान लोग सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।
- सख्त नियम और पाबंदियां: झीलों के किनारे रैलिंग और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
🔹 निष्कर्ष
उदयपुर की झीलें यहां की खूबसूरती और पर्यटन का प्रतीक हैं, लेकिन लगातार बढ़ रही आत्महत्या की घटनाएं चिंताजनक हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और CCTV, गार्ड और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी सुविधाएं लागू करे, ताकि इन दुखद घटनाओं को रोका जा सके।
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