नीमच ज़िले के कानाखेड़ा गांव में बुधवार दोपहर एक बड़ा हादसा टल गया, जब खेतों में अचानक भीषण आग लग गई। दोपहर करीब 1:30 बजे बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट से यह हादसा हुआ। घटना के दौरान तेज हवा चल रही थी, जिसने आग को और विकराल बना दिया। आग ने कुछ ही समय में चार किसानों के खेतों को अपनी चपेट में ले लिया।
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तेज़ हवाओं ने बढ़ाई मुसीबत, आग ने चार खेतों को लील लिया
घटना की शुरुआत एक छोटे से शॉर्ट सर्किट से हुई, लेकिन तेज़ हवाओं के चलते आग ने विकराल रूप ले लिया। देखते ही देखते अशोक नागदा, सालीग्राम नागदा और दो अन्य किसानों के खेतों में फैल गई।
कुल 40 बीघा जमीन पर खड़ी फसल और सूखा चारा जलकर राख हो गया।
यह आग सिर्फ फसलों को ही नहीं निगली, बल्कि कई किसानों का मेहनत और उम्मीदें भी स्वाहा हो गईं। खासकर इस समय जब कटाई का मौसम चल रहा है, इस तरह की आग किसानों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित होती है।
ग्रामीणों की सतर्कता से टला बड़ा हादसा
आग लगते ही गांव के लोगों ने बिना देर किए घटनास्थल पर पहुंचकर आग बुझाने की कोशिश शुरू कर दी। उन्होंने बेलचों, बाल्टियों और पानी के पाइपों की मदद से आग पर काबू पाने का प्रयास किया।
थोड़ी ही देर में दमकल विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। ग्रामीणों और फायर ब्रिगेड के संयुक्त प्रयास से करीब दो घंटे में आग पर काबू पाया जा सका।
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कोई जनहानि नहीं, लेकिन भारी आर्थिक नुकसान
इस घटना में किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई, यह राहत की बात रही। हालांकि, किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। खेतों में खड़ी गेहूं की फसल, सूखी घास, और मवेशियों के लिए रखा गया चारा पूरी तरह जल गया।
🔹 पशुपालन पर भी पड़ा असर
ग्रामीणों ने बताया कि पशुओं के चारे की काफी मात्रा भी इस आग में जल गई, जिससे अब उन्हें आने वाले दिनों में चारे की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
प्रशासन से सहायता की मांग
किसानों ने प्रशासन से मुआवज़े की मांग की है। उनका कहना है कि बिजली विभाग की लापरवाही से यह हादसा हुआ है, इसलिए सरकार को चाहिए कि वह तुरंत सर्वे कराकर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए।
📣 स्थानीय लोगों की मांग:
- बिजली तारों की नियमित जांच हो
- खेतों के पास चल रहे बिजली पोल की वायरिंग दुरुस्त की जाए
- आपातकालीन सेवा को और सक्रिय किया जाए
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आग बुझाने के बाद भी खेतों से उठता रहा धुआं
भले ही आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन बुधवार देर शाम तक खेतों से धुआं उठता रहा। कई किसानों के खेतों में फसल के अवशेष और जलती लकड़ियां दिखाई दीं, जिन्हें बुझाने के लिए पानी का छिड़काव जारी रहा।
फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी देर शाम तक खेत में तैनात रही, ताकि कोई चिंगारी दोबारा बड़ी आग का कारण न बने।
निष्कर्ष: सावधानी ही सुरक्षा है
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि गांवों में बिजली की व्यवस्था कितनी लचर है और किस तरह यह किसानों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।
प्रशासन को चाहिए कि खेतों के पास चल रहे बिजली के पोल और तारों की निगरानी नियमित तौर पर की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।
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