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📌 उदयपुर में स्वास्थ्य प्रशासन को मिली स्थिरता: हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
उदयपुर के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में चल रही अस्थिरता को एक बड़ा विराम देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक निर्णय में डॉ. शंकरलाल बामनिया को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के पद पर पुनः बहाल करने का आदेश दिया है।
यह आदेश 9 अप्रैल 2025 को रिजर्व फैसले के रूप में घोषित किया गया। इसके बाद शुक्रवार को ज्योतिबा फुले जयंती जैसे अवकाश के दिन भी डॉ. बामनिया ने कार्यालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण कर लिया।
⚖️ कैसे पहुंचा मामला हाईकोर्ट तक?
जनवरी 2024 में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. बामनिया का ट्रांसफर जिला अस्पताल प्रतापगढ़ कर दिया था, जहां उन्हें उप नियंत्रक (डिमोटेड पोस्ट) पर पदस्थ किया गया।
डॉ. बामनिया ने इसे न केवल अन्यायपूर्ण, बल्कि दंडात्मक ट्रांसफर बताते हुए जोधपुर हाईकोर्ट की एकल पीठ में रिट याचिका दाखिल की।
हालांकि एकल पीठ ने एएजी के 2008 के अमेंडमेंट रूल के एफिडेविट के आधार पर उनकी याचिका खारिज कर दी।
📚 2012 के संशोधित रूल बने वापसी की बुनियाद
डॉ. बामनिया के वकील बी.एस. संधु ने खंडपीठ में अपील करते हुए तर्क दिया कि 2008 के नियम 2012 में संशोधित (DACP रूल) हो चुके हैं, और इन्हें नजरअंदाज कर गलत निर्णय दिया गया।
🔍 मुख्य बिंदु यह रहा कि उनका ट्रांसफर जनहित में न होकर, झूठी और मनगढ़ंत शिकायतों के आधार पर किया गया था, जो अब तक जांच में गलत साबित हो चुकी हैं।
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🧾 झूठी शिकायतें और गलत एफिडेविट की पोल खुली
खंडपीठ के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि:
- संयुक्त निदेशक, उदयपुर द्वारा गठित जांच समिति ने सभी शिकायतों को झूठा, मनगढंत और मिथ्या पाया।
- निदेशालय को रिपोर्ट भेज दी गई थी, और कोई भी जांच अब पेंडिंग नहीं है।
- केस के ऑफिस इंचार्ज डॉ. बी एल स्वर्णकार ने कोर्ट में गलत एफिडेविट पर लिखित माफ़ी भी दी।
✅ खंडपीठ का अंतिम निर्णय: बामनिया की बहाली
दिनांक 9 अप्रैल 2025 को खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए:
- एकल पीठ का फैसला रद्द किया,
- डॉ. शंकरलाल बामनिया को पुनः CMHO उदयपुर के पद पर नियुक्त किया,
- और उन्हें कार्यरत रहने के आदेश भी जारी कर दिए।
डॉ. बामनिया ने शुक्रवार को आदेश की पालना करते हुए पुनः विधिवत कार्यभार संभाल लिया।
🩺 सीएमएचओ कार्यालय में अब स्थिरता
पिछले कुछ समय से आरसीएचओ डॉ. अशोक आदित्य सीएमएचओ का अतिरिक्त जिम्मा संभाल रहे थे। अब उनके स्थान पर डॉ. बामनिया ने स्थायी रूप से कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
इस फैसले से उदयपुर के स्वास्थ्य विभाग में एक स्थिर और अनुभवी नेतृत्व की वापसी हुई है, जिससे चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार होगा।
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🔎 निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि न्याय देर से सही, लेकिन मिलता जरूर है। डॉ. बामनिया की वापसी न केवल व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह स्वास्थ्य विभाग में न्याय और पारदर्शिता की भी मिसाल बन गई है।