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मंदसौर – मध्यप्रदेश में शराब घोटाले की आंच फिर से तेज हो गई है। सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंदौर, भोपाल और मंदसौर में शराब कारोबारियों के खिलाफ एक साथ रेड की। इस छापेमारी में 7.44 करोड़ रुपए की नकदी, 71 लाख बैंक जमा, और कई बैंक लॉकर फ्रीज़ किए गए हैं।
📍 कहां-कहां हुई कार्रवाई?
ईडी ने कुल 13 स्थानों पर एक साथ रेड की, जिसमें इंदौर, भोपाल और मंदसौर के बड़े शराब ठेकेदार शामिल रहे। करीब 16 घंटे की पूछताछ में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिनसे घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं।
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🚨 फर्जी चालान घोटाले की परतें खुलीं
ईडी की यह रेड एक पुराने आबकारी घोटाले की जांच के अंतर्गत की गई है। इंदौर के रावजी बाजार थाने में दर्ज FIR के आधार पर कार्रवाई हुई। आरोप है कि:
- शराब ठेकेदारों ने फर्जी ट्रेजरी चालानों के जरिए 49.42 करोड़ का नुकसान सरकारी खजाने को पहुँचाया।
- वर्ष 2015-16 से 2017-18 के बीच गलत तरीके से एनओसी लेकर शराब खरीदी गई।
- यह फर्जीवाड़ा 194 चालानों के माध्यम से अंजाम दिया गया।
📋 कैसे होता था यह घोटाला?
जांच में सामने आया कि:
- कारोबारी छोटी रकम के चालान बनाकर बैंक में जमा करते थे।
- चालान में अंकों में राशि तो लिखी जाती थी, पर शब्दों में खाली छोड़ दी जाती।
- बाद में चालान की कॉपी में बड़ी रकम शब्दों में लिख दी जाती थी।
- यह नकली चालान मदिरा गोदाम में जमा कर दिया जाता और एनओसी मिल जाती थी।
🕵️♂️ पीएमओ तक पहुंचा मामला
यह घोटाला वर्ष 2018 में सामने आया था, लेकिन 2024 में ईडी ने गंभीरता से जांच शुरू की। एक RTI कार्यकर्ता राजेंद्र गुप्ता ने इस पर PMO को शिकायत भेजी थी।
- 1700 करोड़ रुपये के चालानों की समीक्षा 11 ऑडिटरों ने की थी।
- शिकायत के बाद जांच अधिकारियों को बदला गया, और नए वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई।
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🔍 आगे क्या होगा?
ईडी सूत्रों के अनुसार:
- अभी जांच जारी है।
- भविष्य में शराब कारोबारियों की गिरफ्तारी संभव है।
- विभागीय अफसरों की संलिप्तता भी जांच के घेरे में है।

🔚 निष्कर्ष
मंदसौर समेत पूरे मध्यप्रदेश में हुए इस शराब घोटाले ने प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि ईडी की जांच निष्पक्ष और पूरी तरह पारदर्शी रही, तो कई बड़े नाम बेनकाब हो सकते हैं।
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