प्रतापगढ़

प्रतापगढ़ में किसानों का उग्र प्रदर्शन, सरकार और प्रशासन के खिलाफ गूंजे नारे

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प्रतापगढ़ से बड़ी खबर

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में किसानों की लगातार अनदेखी और राहत न मिलने से आक्रोश फूट पड़ा। सोमवार को भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और वाहनों के काफिले के साथ रैली निकालते हुए कलेक्ट्रेट का घेराव किया।

जैसे ही रैली परिसर में पहुंची, किसानों का गुस्सा फट पड़ा और वहां सरकार विरोधी नारे गूंजने लगे। किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं तो जिलेभर में चक्का जाम और धरना प्रदर्शन किए जाएंगे।


कलेक्टर को बुलाने पर भी नहीं आए बाहर

सोमवार दोपहर करीब 3 बजे किसानों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने के लिए कलेक्टर को बुलाया। लेकिन कलेक्टर बाहर नहीं आए। इस पर किसानों का आक्रोश और बढ़ गया।

नाराज किसानों ने कलेक्ट्रेट गेट पर ही ज्ञापन चिपका दिया और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। किसानों ने कहा कि यह रवैया बेहद शर्मनाक है।


किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों ने सरकार और प्रशासन के सामने अपनी कई मांगें रखीं, जिनमें मुख्य रूप से:

  • फसल खराबे का उचित मुआवजा।
  • बीमा कंपनियों द्वारा अटकी राशि का तुरंत भुगतान।
  • कृषि समस्याओं का त्वरित समाधान।

किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं से बार-बार फसलें चौपट हो रही हैं। मगर सरकार और बीमा कंपनियों की बेरुखी ने किसानों को कर्ज और निराशा में धकेल दिया है।


किसान नेताओं का आक्रोश

किसान नेताओं ने कहा कि अब किसानों का सब्र टूट चुका है। यदि सरकार तुरंत राहत पैकेज घोषित नहीं करती, तो आंदोलन की आग हर गांव-गांव तक फैलाई जाएगी।

उन्होंने चेतावनी दी कि यह सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में धरना और उग्र प्रदर्शन किए जाएंगे। किसान नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कलेक्टर ने किसानों की व्यथा सुनने के बजाय दूसरे गेट से कार्यालय छोड़ दिया, जो बेहद गलत है।


पुलिस बंदोबस्त भी नाकाम

प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कड़ा बंदोबस्त किया। लेकिन किसानों का आक्रोश इतना प्रचंड था कि प्रशासनिक इंतजाम भी बेअसर हो गए।

गांव-गांव से आए किसानों ने प्रशासन को घेरते हुए कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक आंदोलन थमेगा नहीं।


किसानों की अगली रणनीति

ग्रामीणों ने मंगलवार दोपहर 4 बजे फिर से ज्ञापन सौंपने की घोषणा की। इसमें राज्य सरकार को दो दिन का समय दिया जाएगा।

यदि तय समय में समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो शुक्रवार को कस्बा बंद और चक्का जाम किया जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों की समस्याओं से आंखें मूंदे बैठी है, लेकिन अब वे अपनी आवाज दबने नहीं देंगे।


राजस्थान में किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि

पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान के कई जिलों जैसे उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और राजसमंद में किसान फसल खराबे, बीमा दावों और मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर चुके हैं।

  • प्राकृतिक आपदाएं किसानों की फसलों को बार-बार नुकसान पहुंचा रही हैं।
  • बीमा कंपनियों द्वारा समय पर क्लेम न देने से किसानों की आर्थिक हालत बिगड़ रही है।
  • सरकारी नीतियों के लागू होने में देरी और अनदेखी किसानों को आंदोलित कर रही है।

प्रतापगढ़ का यह आंदोलन उसी श्रृंखला की कड़ी है।


निष्कर्ष

प्रतापगढ़ जिले में किसानों का यह उग्र आंदोलन बताता है कि किसान अब चुप नहीं बैठने वाले। उनकी मांगें जायज हैं और यदि समय पर समाधान नहीं हुआ तो यह आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है। सरकार और प्रशासन को तुरंत किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना होगा, वरना हालात बिगड़ सकते हैं।


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