चित्तौड़गढ़

ट्रेन में चोरी करने वाला सीरियल चोर गिरफ्तार: GRP चित्तौड़गढ़ की बड़ी कार्रवाई, डेढ़ लाख का माल बरामद

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चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) – जीआरपी चित्तौड़गढ़ ने एक साल पुराने ट्रेन चोरी मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने ट्रेन में सफर कर रही महिला का पर्स चोरी करने वाले आरोपी हंसराज गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया है, जो पिछले 10 महीनों से फरार चल रहा था। पुलिस ने उसके पास से मोबाइल फोन, सोने का मंगलसूत्र और चांदी के दो सिक्के बरामद किए हैं। बरामद माल की कुल कीमत करीब 1.5 लाख रुपए आंकी गई है।

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🚂 अहमदाबाद में दर्ज हुआ था मामला, चित्तौड़गढ़ GRP को ट्रांसफर

यह मामला पहले अहमदाबाद GRP थाने में दर्ज हुआ था। बाद में जांच के लिए जून 2024 में चित्तौड़गढ़ GRP को ट्रांसफर किया गया।

23 जून 2024 को इस चोरी की एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें जयपुर के होटल व्यवसायी रविप्रताप सिंह की पत्नी का पर्स ट्रेन में चोरी हुआ था। वे परिवार के साथ 2 मार्च 2024 को जयपुर-असावरा एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे।

पर्स में कीमती मोबाइल, एक सोने का मंगलसूत्र और दो चांदी के सिक्के थे। चोरी के बाद व्यवसायी ने तुरंत अहमदाबाद पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी।


🕵️‍♀️ ट्रैकिंग से पहुंची पुलिस आरोपी तक

थानाधिकारी अनिल देवल ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई। टीम ने महिला के मोबाइल की लोकेशन ट्रैक करना शुरू किया। आरोपी बीच-बीच में फोन ऑन करता और तुरंत बंद कर देता था, जिससे पुलिस को उसकी गतिविधियों पर शक हुआ।

आखिरकार आरोपी की लोकेशन चंदेरिया थाना क्षेत्र के एक गांव में ट्रैक हो गई और GRP ने उसे गिरफ्तार कर लिया।


🔍 घर में छुपा रखा था चोरी का माल

गिरफ्तारी के बाद आरोपी हंसराज गुर्जर ने अपना अपराध कबूल कर लिया। उसने बताया कि चोरी किया गया पर्स, मोबाइल और गहने उसने अपने ही घर में छुपाकर रखे थे।

👉 बरामद माल में:

  • एक महंगा स्मार्टफोन
  • सोने का मंगलसूत्र
  • दो चांदी के सिक्के

कुल मूल्य लगभग ₹1.5 लाख बताया गया है।


🔁 सीरियल अपराधी निकला आरोपी

हंसराज गुर्जर सिर्फ इस मामले में ही नहीं, बल्कि 2018 में भी GRP चित्तौड़गढ़ द्वारा चोरी के केस में गिरफ्तार हो चुका है।

इसके अलावा विभिन्न थानों में उस पर चोरी, लूट, वाहन चोरी, शराब तस्करी और मारपीट जैसे गंभीर अपराधों के कई मामले दर्ज हैं।

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👮 कार्रवाई करने वाली टीम

इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने वाली टीम में शामिल थे:

  • हेड कॉन्स्टेबल सांवर सिंह
  • अनिल कुमार
  • कॉन्स्टेबल पवन कुमार
  • रणजीत वर्मा
  • गोपाल लाल

इनकी तत्परता और डिजिटल ट्रैकिंग तकनीकों की वजह से ही 10 महीने पुराने मामले में गिरफ्तारी संभव हो सकी।


📢 निष्कर्ष

यह मामला एक बार फिर यह दर्शाता है कि GRP चित्तौड़गढ़ जैसे विभाग आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए अपराधियों को पकड़ने में पूरी तरह सक्षम हैं। रेलवे यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।


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