सामाजिक परंपरा की बैठक बनी विवाद की जड़, पुलिस ने दोनों पक्षों पर क्रॉस केस दर्ज कर शुरू की जांच
गरोठ (मंदसौर जिला) — बंजारा समाज की एक पारिवारिक पंचायत उस वक्त हिंसा में बदल गई जब साठखेड़ा तालाब की पाल पर दिवंगत सदस्य की अस्थि विसर्जन को लेकर दो पक्षों में कहासुनी हुई और देखते ही देखते मामला मारपीट और जानलेवा धमकियों तक पहुंच गया। घटना के बाद दोनों पक्षों ने गरोठ थाने में एक-दूसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 13 आरोपियों के खिलाफ क्रॉस केस दर्ज किया है।
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🧩 क्या था मामला: अस्थि विसर्जन के नाम पर बुलाई गई पंचायत
कानपुर निवासी गोपाल बंजारा के अनुसार, उनके जीजा सोदान सिंह के पिता के अस्थि विसर्जन को लेकर खेरखेड़ा भाट क्षेत्र में एक सामाजिक पंचायत आयोजित की गई थी। यह बैठक समाज के वरिष्ठ सदस्यों और परिवारजनों की उपस्थिति में साठखेड़ा तालाब पर हुई। गोपाल का आरोप है कि इसी दौरान बाबूलाल, जगदीश, रोडू, तूफान, राजेश, वकील और मुकेश बंजारा ने उन पर हमला किया और जान से मारने की धमकी दी।
🏥 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया
हमले में गोपाल सहित कई लोग घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए गरोठ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। जहां चोटों की गंभीरता को देखते हुए कुछ लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया।
🧾 दूसरे पक्ष ने भी दर्ज कराई रिपोर्ट
वहीं, खेरखेड़ा भाट निवासी राजू बंजारा ने भी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उनका कहना है कि अस्थि विसर्जन की बैठक के दौरान गोपाल, श्यामलाल, शिवलाल, दूले सिंह, तूफान और सोदा बंजारा ने न सिर्फ गाली-गलौज की, बल्कि मारपीट कर जान से मारने की धमकी भी दी।
👮 थाना प्रभारी का बयान: दोनों पक्षों के खिलाफ केस दर्ज
गरोठ थाना प्रभारी मनोज महाजन ने पुष्टि की कि घटना को लेकर दोनों पक्षों की ओर से शिकायतें प्राप्त हुई हैं। पुलिस ने इन आधार पर क्रॉस केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कुल 13 लोगों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है, और पुलिस का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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⚖️ सामाजिक विवाद या गुटबाज़ी का मामला?
यह घटना एक बार फिर सवाल खड़े करती है कि क्या समाज में चल रही पारंपरिक व्यवस्थाएं अब विवादों और हिंसा का कारण बन रही हैं? बंजारा समाज, जो अपनी संस्कृति और एकता के लिए जाना जाता है, क्या आपसी टकराव और गुटबाज़ी का शिकार हो रहा है? अस्थि विसर्जन जैसी धार्मिक और भावनात्मक प्रक्रिया के दौरान हिंसा निश्चित ही चिंताजनक विषय है।
🔍 पुलिस जांच पर टिकी निगाहें
स्थानीय लोगों और समाज के वरिष्ठजनों की मांग है कि जांच निष्पक्ष हो और दोषी किसी भी पक्ष का हो, उस पर उचित कार्रवाई की जाए। इस मामले में सीसीटीवी फुटेज, चश्मदीद गवाह और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है।

✍️ निष्कर्ष: सामाजिक जिम्मेदारी बनाम आपसी रंजिश
गरोठ की यह घटना बताती है कि सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाते समय आपसी टकराव को कैसे टाला जाए, यह आज की आवश्यकता है। पंचायतें अगर शांति से चलें तो समाज को मजबूती मिलती है, लेकिन यदि वे संघर्ष का मंच बन जाएं, तो समाज की जड़ें हिल सकती हैं।