चित्तौड़गढ़

विधायक की नाराज़गी और प्रशासन की कार्यशैली पर उठे सवाल: चित्तौड़गढ़ जिला परिषद की बैठक में मचा हंगामा

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📍 जिला परिषद की साधारण सभा बनी जनसमस्याओं का आईना

चित्तौड़गढ़ के डीआरडी हॉल में आयोजित जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक इस बार सिर्फ मुद्दों की चर्चा तक सीमित नहीं रही, बल्कि नेताओं और अधिकारियों के बीच तीखी बहस और नाराज़गी का गवाह भी बनी। बैठक में Hindustan Zinc, RTO, NREGA, और police system को लेकर जनप्रतिनिधियों ने खुलकर सवाल उठाए। लेकिन सबसे अधिक सुर्खियों में रहे बेगूं विधायक सुरेश धाकड़, जो पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए।

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💧 Hindustan Zinc पर पानी के दुरुपयोग का आरोप

बैठक की शुरुआत में ही बेगूं विधायक सुरेश धाकड़ ने घोसुंडा डैम से हिंदुस्तान जिंक को दिए जा रहे पानी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि:

“डैम राज्य सरकार की संपत्ति है, फिर भी सारा पानी जिंक को दिया जा रहा है।”

उन्होंने बताया कि 2013 में तय हुआ था कि जिंक को डैम के केवल आधे पानी का हक होगा, लेकिन अब किसानों को उनके हिस्से का पानी नहीं मिल रहा

👉 इस बहस में कांग्रेस के सदस्यों ने बीजेपी पर हमला बोला कि उन्होंने जिंक को डैम बेच दिया है। इस पर धाकड़ ने पलटवार करते हुए कहा:

“आपका ठेका चल रहा है, इसलिए आप जिंक का साथ दे रहे हो।”


🚨 RTO विभाग पर अवैध वसूली और दुव्यवहार के आरोप

एक और अहम मुद्दा रहा RTO महिला इंस्पेक्टर मुक्ता सोनी द्वारा एक ट्रक ड्राइवर के बाल खींचने की घटना। विधायक धाकड़ ने सवाल उठाया कि:

“अगर कोई अधिकारी बात न माने, तो क्या मैं भी मारपीट कर सकता हूं?”

विधायकों ने आरोप लगाया कि RTO अधिकारी प्राइवेट लोगों को डंडे देकर ट्रकों को रोक रहे हैं, और सड़कों पर अवैध वसूली हो रही है।

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🛠️ NREGA में भेदभाव: ठेकेदारों को प्राथमिकता?

बैठक में नरेगा योजना पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए। धाकड़ ने आरोप लगाया कि कुछ ग्राम पंचायतों को 40 लाख के काम स्वीकृत कर दिए गए, जबकि बाकी को फंड की कमी बताकर टाल दिया गया।

उन्होंने सीधा सीईओ विनय पाठक पर निशाना साधते हुए यहां तक कह दिया कि:

“इस तरह का भेदभाव नहीं चलेगा, जरूरत पड़ी तो मीटिंग से बाहर भेज देंगे।”

इस दौरान जिला कलेक्टर आलोक रंजन को हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन विधायक टस से मस नहीं हुए।


👮 पुलिस की कार्यशैली पर विधायक का फूटा गुस्सा

सबसे ज्यादा विवाद विधायक धाकड़ के घर में हुई चोरी को लेकर हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि:

“सीसीटीवी में चोर साफ दिख रहे हैं, लेकिन पुलिस अब तक कार्रवाई नहीं कर पाई।”

जब एडिशनल एसपी मुकेश सांखला इस पर जवाब नहीं दे पाए, तो विधायक ने गुस्से में कहा:

“अगर विधायक के घर में भी चोरी हो जाए और पुलिस कुछ न कर सके, तो विधायक बने रहने का क्या फायदा।”

इतना कहकर उन्होंने बैठक बीच में ही छोड़ दी और बाहर जाते हुए बोले:

“मुझे विधायक ही नहीं रहना है।”


🧑‍💼 बैठक में कौन-कौन रहा मौजूद?

बैठक में मौजूद रहे प्रमुख जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों में शामिल थे:

  • जिला प्रमुख गब्बर सिंह अहीर
  • निंबाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी
  • चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या
  • कपासन विधायक अर्जुन लाल जीनगर
  • जिला कलेक्टर आलोक रंजन
  • एडिशनल एसपी मुकेश सांखला

सभी ने अपने क्षेत्रों की समस्याएं उजागर कीं, लेकिन जवाबदेही पर सवालों के satisfactory जवाब नहीं मिल पाए।


🔍 निष्कर्ष: जनता के मुद्दे या राजनीतिक टकराव?

चित्तौड़गढ़ जिला परिषद की यह बैठक सिर्फ एक प्रशासनिक चर्चा नहीं थी, बल्कि यह दर्शाती है कि नीतिगत निर्णय, जल संसाधनों का दुरुपयोग, अवैध वसूली, और भेदभाव जैसे गंभीर मुद्दों पर लोकतांत्रिक तंत्र कितना असहाय हो सकता है। जब एक विधायक खुद को असहाय महसूस करता है, तो प्रशासन की जवाबदेही पर बड़ा सवाल उठता है।


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