चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ वन विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार खुलासा: एसीबी ने पेश किया कोर्ट में चालान

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चित्तौड़गढ़ जिले के बोराव रेंज में भ्रष्टाचार की जड़ें अब न्यायिक कार्रवाई के घेरे में आ चुकी हैं।
राज्य के वन विभाग में सामने आए इस बड़े घोटाले में तीन अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है। मामला अब और गहराता नजर आ रहा है, क्योंकि जांच की आंच विभाग के उच्च अधिकारियों तक भी पहुंच चुकी है।

रिश्वतखोरी के जाल में फंसे रेंजर और सहायक वनपाल

राजेन्द्र चौधरी (रेंजर), पुष्पा राणावत और राजेन्द्र मीणा (सहायक वनपाल) को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 24 मार्च 2025 को 1.98 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। यह रिश्वत एक ठेकेदार से 21 लाख रुपये के टेंडर बिल पास कराने के बदले मांगी गई थी।

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क्या है पूरा मामला?

परिवादी ने एसीबी को बताया कि उसने अपने साथी गिर्राज धाकड़ के साथ “भूमि कंस्ट्रक्शन” नाम की फर्म के ज़रिए दिसंबर 2024 में बोराव रेंज की तीन साइट्स पर गड्ढे और ट्रेंच खोदने का ठेका लिया था। काम समय पर पूरा कर दिया गया, लेकिन बिल पास कराने के लिए अधिकारियों ने 20% रिश्वत (लगभग ₹4.20 लाख) मांगी।

एसीबी की सटीक ट्रैपिंग: साक्ष्य हुए मजबूत

गोपनीय जांच के बाद एसीबी ने ट्रैप बिछाया और 78,000 रुपये नकद व 1.20 लाख रुपये का चेक लेते तीनों को गिरफ्तार कर लिया।
जांच के दौरान कॉल रिकॉर्डिंग में भी रिश्वत की पुष्टि हुई, जिससे कोर्ट में चालान दाखिल करने का रास्ता साफ हुआ।

ऊपरी अधिकारियों पर भी जांच की आंच

इस मामले में अब जांच की परतें खुलने लगी हैं।
DFO राहुल झांझरिया सहित दो अन्य सहायक वनपाल नवल और सुनील की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।

DFO पर क्या है आरोप?

राहुल झांझरिया पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर बिल पास नहीं किया और बार-बार प्रक्रिया को टालते रहे।
हालांकि उनके खिलाफ कोई कॉल रिकॉर्डिंग नहीं मिली, परंतु उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है।

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क्या होगी आगे की कार्रवाई?

विशेष अदालत में चालान पेश हो चुका है और आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस चलेगा।
उम्मीद है कि इस केस में आगे और नाम सामने आ सकते हैं और जांच का दायरा और बढ़ेगा।


निष्कर्ष

चित्तौड़गढ़ का यह मामला एक बार फिर यह दर्शाता है कि सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी आवश्यकता है।
वन विभाग जैसे संवेदनशील विभाग में भी भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह केस उसकी जीती-जागती मिसाल है।

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