मन्दसौर

जूनापानी के तपस्वी संत: बालाजी मंदिर में चल रही अलौकिक साधना

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शामगढ़ (मध्यप्रदेश) – मानो समय ठहर गया हो! जूनापानी स्थित प्राचीन बालाजी मंदिर इन दिनों अध्यात्म की ऊर्जा से ओतप्रोत है। यहां दो संत—नारायण दास त्यागी और हरिशंकर दास महाराज—विशेष तपस्या में लीन हैं। इनकी कठोर साधना और अध्यात्मिक ऊर्जा ने पूरे अंचल को भक्ति के रंग में रंग दिया है।

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🔥 नारायण दास त्यागी: अग्नि के बीच 4 महीने से तपस्या

नारायण दास त्यागी जी बीते चार महीनों से धूनी में अग्नि के चारों ओर बैठे हैं

  • यह कोई पहली बार नहीं है—वे पिछले 18 वर्षों से तपस्यारत हैं।
  • अग्नि के चारों ओर बैठकर यह ‘पंचाग्नि तप’ उनकी साधना का हिस्सा है।
  • स्थानीय श्रद्धालु प्रतिदिन उनके दर्शन कर परिक्रमा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं।

👉 यह अलौकिक दृश्य लोगों में भक्ति और श्रद्धा की भावना को और गहरा करता है।


🌿 हरिशंकर दास महाराज: नीम-पत्र और निराहार तपस्या

हरिशंकर दास महाराज पिछले तीन महीनों से पूर्ण निराहार तपस्या कर रहे हैं।

  • इससे पहले वे ढाई महीने तक केवल नीम की पत्तियाँ खाकर, बिना जल ग्रहण किए तपस्या में लीन रहे।
  • वे महज 20 वर्ष की आयु से ही इस कठोर साधना मार्ग पर हैं।
  • तप का उद्देश्य है—विश्व कल्याण और राष्ट्र की उन्नति

🙏 उनके तप की ऊर्जा को अनुभव करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जूनापानी की ओर उमड़ रही है।


📖 श्रीमद् भागवत कथा और यज्ञ: मंदिर में सात दिवसीय आयोजन

इस समय प्राचीन बालाजी मंदिर में चल रहा है:

  • सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा
  • पंचकुंडीय यज्ञ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं

🔱 हरिशंकर दास महाराज ने उज्जैन से लाकर भोलेनाथ की मूर्ति भी मंदिर में स्थापित की है।
🕉️ यह उनका जूनापानी में आठवां यज्ञ है—जो उनकी निष्ठा और विश्वास का प्रतीक है।

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🌞 कठिन गर्मी, अटूट साधना: संतों की तप शक्ति अद्वितीय

जब पूरा देश भीषण गर्मी से परेशान है, तब भी ये संत निरंतर साधना में लीन हैं:

  • ना शरीर की चिंता, ना मौसम की—केवल ध्यान, मंत्र और संकल्प
  • यह तपस्या आधुनिक जीवनशैली के लिए एक गहन प्रेरणा है
  • स्थानीय लोग इसे साक्षात चमत्कार मानते हैं

📸 संतों के धूनी के बीच बैठने का दृश्य देखकर लोग भावविभोर हो जाते हैं और श्रद्धा से उनकी परिक्रमा करते हैं।


✨ क्यों है यह तपस्या विशेष?

संत का नामतप का प्रकारअवधिउद्देश्य
नारायण दास त्यागीअग्नि धूनी तप4 महीने (अब तक)विश्व कल्याण
हरिशंकर दासनिराहार व नीम-पत्र तप3 महीनेराष्ट्र हित व शिव आराधना

यह साधना केवल व्यक्तिगत मोक्ष के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की शांति और प्रगति के लिए की जा रही है।


📚 निष्कर्ष: संतों की साधना, समाज का कल्याण

जूनापानी का यह आयोजन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह समाज को आत्मनिरीक्षण और संयम का पाठ पढ़ाता है
संतों की कठिन तपस्या से प्रेरणा लेकर हम भी जीवन में संकल्प, सेवा और साधना का समावेश कर सकते हैं।


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