चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ में डिलीवरी के बाद प्रसूता की मौत: इलाज में लापरवाही और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप

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अस्पताल में कोमल गुर्जर की मौत के बाद मचा हंगामा, परिजनों ने लगाए डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप

चित्तौड़गढ़ ज़िले के नेतावल महाराज ग्राम पंचायत स्थित पांचली गांव की 19 वर्षीय कोमल गुर्जर की महिला एवं बाल चिकित्सालय में डिलीवरी के बाद संदिग्ध हालात में मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना के बाद परिजनों और समाज के लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला। उन्होंने इलाज में लापरवाही और जबरन पैसे मांगने के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

👉 यह घटना मेवार मलवा न्यूज़ पोर्टल की नज़र में भी गंभीर चिंता का विषय है।


नॉर्मल डिलीवरी के नाम पर मांगे पैसे, न देने पर किया ऑपरेशन!

परिजनों के अनुसार, रविवार सुबह कोमल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार को लेबर पेन शुरू हुआ, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर निर्मला मेघवाल ने कथित तौर पर नॉर्मल डिलीवरी के बदले परिजनों से “सहयोग राशि” मांगी। जब उन्होंने इनकार किया, तो डॉक्टर ने ऑपरेशन की बात कही और दोपहर में ऑपरेशन कर डिलीवरी करवाई गई।

कोमल ने एक कन्या शिशु को जन्म दिया, लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी।


ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत, 6 यूनिट खून और प्लाज्मा चढ़ाया गया

डिलीवरी के तुरंत बाद कोमल को अत्यधिक रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होने लगा। परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान नस कट गई थी और इस पर डॉक्टरों ने लापरवाही दिखाई। स्थिति बिगड़ने पर उसे फिर से ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी — कोमल की मौत हो चुकी थी।

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अस्पताल में विरोध प्रदर्शन, हॉस्पिटल के बाहर जुटे समाजजन

जैसे ही मौत की खबर बाहर आई, समाज के लोग और परिजन जिला अस्पताल की मॉर्च्युरी के बाहर इकट्ठा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। परिजनों ने डॉक्टर निर्मला को निलंबित करने और 50 लाख रुपए मुआवज़ा देने की मांग की। भारी संख्या में मौजूद पुलिस बल ने मौके को संभाला लेकिन गुस्से में भीड़ कलेक्ट्रेट तक पहुंच गई।

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पोस्टमॉर्टम के लिए बनी मेडिकल बोर्ड, जांच की तैयारी

प्रशासन के समझाने पर परिजन पोस्टमॉर्टम के लिए राज़ी हुए। मेडिकल बोर्ड की निगरानी में पोस्टमॉर्टम किया गया ताकि मौत के सही कारणों की जांच हो सके। डॉ. प्रवीण शर्मा, जो विभागाध्यक्ष हैं, उन्होंने इस पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी गठित करने की घोषणा की है।


प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल

इस घटना ने चित्तौड़गढ़ जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। आए दिन मरीजों से पैसे मांगने, ऑपरेशन की अनावश्यक सलाह, और डॉक्टरों की लापरवाही जैसी घटनाएं अब आम होती जा रही हैं।

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निष्कर्ष: न्याय की मांग और सुधार की दरकार

कोमल गुर्जर की असमय मौत केवल एक व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि एक सामाजिक और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है। जरूरत है कि इस मामले की पारदर्शी जांच हो, दोषियों को सख्त सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग में व्यापक सुधार किए जाएं।

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