मन्दसौर

मंदसौर में शराबबंदी के बावजूद धड़ल्ले से जारी अवैध शराब बिक्री! पवित्र नगरी में प्रशासन बेबस?

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मंदसौर — मध्यप्रदेश सरकार ने 6 महीने पहले धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले 19 शहरों में शराबबंदी लागू की थी, जिनमें मंदसौर का नाम सबसे ऊपर है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पवित्र नगरी घोषित होने के बावजूद यहां खुलेआम अवैध शराब बिक रही है। मंदिरों के आसपास, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, ढाबों और यहां तक कि किराने की दुकानों पर भी शराब की बिक्री धड़ल्ले से जारी है।

दैनिक भास्कर की जांच में कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें साफ दिखता है कि शहर में हर गली-मोहल्ले में शराब बिक रही है। मंदिर से महज 1-3 किलोमीटर की दूरी पर शराब पीने और बेचने का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है।

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🕉️ पवित्र नगरी मंदसौर और शराबबंदी का इतिहास

मंदसौर, शिवना नदी के किनारे बसा एक प्राचीन धार्मिक नगर है, जहां विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है। भगवान शिव की आठ मुखों वाली (अष्टमुखी) दुर्लभ प्रतिमा यहां के आस्था और आध्यात्मिक केंद्र का प्रतीक है।

2011 में सरकार ने मंदसौर को पवित्र शहर घोषित किया। धार्मिक महत्व को देखते हुए 6 महीने पहले महेश्वर में हुई कैबिनेट बैठक में 19 पवित्र नगरों में शराबबंदी लागू करने का फैसला हुआ। इसके तहत मंदसौर नगर सीमा में 11 सरकारी शराब दुकानों को बंद कर दिया गया।


📍 ग्राउंड रिपोर्ट: कहां और कैसे बिक रही है अवैध शराब?

भले ही सरकारी शराब की दुकानें बंद हों, लेकिन शराब की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा। उल्टा, अवैध कारोबार और तेज हो गया।

1️⃣ अयोध्या बस्ती – किराना दुकान में महिलाओं द्वारा बिक्री

मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर अयोध्या बस्ती में एक किराना दुकान से महिलाएं शराब बेचती हुई मिलीं। यहां बिना किसी डर के शराब की बोतलें ग्राहकों को दी जा रही थीं।

2️⃣ कालाखेत – पुरानी कलाली के पास

पुरानी कलाली के पास एक दुकान में छुपाकर शराब की बिक्री हो रही थी। लोग कैश देकर बोतलें खरीद रहे थे और कोई रोक-टोक नहीं थी।

3️⃣ बस स्टैंड – टेंट के नीचे धंधा

मंदिर से सिर्फ 1.5 किलोमीटर दूर बस स्टैंड के पास टेंट के नीचे शराब बेची जा रही थी। यही नहीं, पुरानी कलाली के पास भी यही हाल है।

4️⃣ अभिनंदन क्षेत्र – ढाबों पर शराब पार्टी

मंदिर से 3 किलोमीटर दूर सुंदरम वाटिका मैरिज गार्डन के पीछे जंगल में बने ढाबों पर न सिर्फ शराब बेची जा रही थी, बल्कि ग्राहक वहीं बैठकर पी भी रहे थे। दिन के उजाले में कार के पास खड़े लोग जाम छलका रहे थे।

5️⃣ सीतामऊ फाटक और शुक्ला चौक – ढाबों से बिक्री

यहां के ढाबों में शराब की बिक्री बेधड़क जारी थी। एक वीडियो में साफ दिखा कि ढाबे के काउंटर के नीचे से शराब की बोतल दी जा रही है।

6️⃣ रेलवे स्टेशन रोड – सड़क किनारे बिक्री

रेलवे स्टेशन रोड पर एक युवक बाइक सवार को खुलेआम शराब बेच रहा था। न कोई डर, न कोई रोक।


📊 शराबबंदी से पहले और अब का आंकड़ा

शराबबंदी से पहले:

  • 11 सरकारी दुकानें
  • रोजाना बिक्री: ₹15–20 लाख

अब:

  • नगर सीमा के बाहर 4 लाइसेंसी दुकानें
  • रोजाना बिक्री: ₹10–15 लाख (अवैध बिक्री का अनुमान शामिल नहीं)

🗣️ स्थानीय लोगों की राय और विरोध

विधायक विपिन जैन (कांग्रेस)

“मंदसौर पवित्र नगरी है। यहां शराबबंदी का सख्ती से पालन होना चाहिए। प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”

पुजारी कैलाश चंद्र भट्ट (पशुपतिनाथ मंदिर)

“धार्मिक नगरी में शराब वर्जित है। भक्तों और नागरिकों को भी इस निर्णय का सम्मान करना चाहिए।”

शहर काजी आसिफ उल्लाह

“शराब नई पीढ़ी के लिए जहर है। इसे पूरे प्रदेश में बंद किया जाए और कड़ाई से लागू किया जाए।”

भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित

“शराबबंदी लागू है। जो वीडियो सामने आए हैं, उन्हें मंत्री और मुख्यमंत्री को भेजकर कार्रवाई कराई जाएगी।”

समाजसेविका श्वेता पोरवाल

“युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान और खेल-कूद कार्यक्रम जरूरी हैं। मोहल्लों में नशामुक्त समितियां बननी चाहिए।”


🚔 प्रशासन का बयान

जिला आबकारी अधिकारी बी.एल. डांगी का कहना है:
“अवैध शराब बिक्री की सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाती है। वीडियो मिलने पर स्टाफ को नियमित गश्त और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।”


🙏 धार्मिक नगरी में शराबबंदी क्यों जरूरी?

  • आस्था का केंद्र: पशुपतिनाथ मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत करता है।
  • सांस्कृतिक पहचान: मंदसौर का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व शराब के धंधे से मेल नहीं खाता।
  • सामाजिक स्वास्थ्य: शराब नशे की लत और अपराध बढ़ाती है।

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📢 निष्कर्ष

मंदसौर जैसी पवित्र नगरी में शराबबंदी का पालन सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर होना चाहिए। जब मंदिर से महज 1–3 किलोमीटर दूर शराब बिक रही हो, तो यह न सिर्फ सरकार की नाकामी है बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है।

अगर प्रशासन, जनप्रतिनिधि, धार्मिक और सामाजिक संगठन मिलकर सख्ती से कदम उठाएं तो मंदसौर को सच में नशामुक्त और पवित्र बनाया जा सकता है।


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