चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ में ज़मीन विवाद बना बड़ा मुद्दा: भोई खेड़ा बस्ती के लोग सड़क पर

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चित्तौड़गढ़ के वार्ड नंबर 56 स्थित शिव शक्ति नगर, भोई खेड़ा बस्ती के सैकड़ों निवासियों ने हाल ही में एकजुट होकर स्थानीय प्रशासन और विधायक चंद्रभान सिंह आक्या को ज्ञापन सौंपा। उनका कहना है कि जिस ज़मीन पर वे लगभग 18 वर्षों से निवास कर रहे हैं, उस पर अचानक विभागीय अलॉटमेंट कर दिया गया है। लोगों की मांग है कि इस अलॉटमेंट को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।


📜 क्या है पूरा मामला?

2006 से इस बस्ती में रह रहे लोग अब इस बात को लेकर परेशान हैं कि 2022 में उनकी ज़मीन को प्रशासन ने मूकबधिर विद्यालय, संस्कृत विद्यालय, रजिस्ट्रार कार्यालय, और कमजोर बालिका छात्रावास जैसे सरकारी संस्थानों को आवंटित कर दिया है। जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि इस पर पहले से पक्के मकान बने हुए हैं और कुछ को चित्तौड़गढ़ नगर परिषद द्वारा पट्टे भी मिल चुके हैं।


🧍‍♂️ स्थानीय लोगों की पीड़ा और संघर्ष

भोई खेड़ा बस्ती के निवासी, जिनमें अधिकांश लोग मेहनत-मजदूरी कर जीवनयापन करते हैं, अब खुद को बेघर होने के खतरे में देख रहे हैं। स्थानीय पार्षद बालकिशन भोई और रेशमा कहार के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद की है।

“हमारे पास इसके अलावा कहीं और ज़मीन नहीं है। दोनों ओर बेड़च और गंभीरी नदी बहती है, जिससे दूसरी जगह जाना असंभव है।” — बालकिशन भोई


🧾 विधायक ने दिया भरोसा

विधायक चंद्रभान सिंह आक्या को जब यह ज्ञापन सौंपा गया, तो उन्होंने गंभीरता से मामले को लेते हुए कहा कि:

“गरीब और श्रमिक वर्ग के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। संबंधित विभागों से निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाया जाएगा।”

यह बयान बस्तीवासियों के लिए उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है।


⚠️ कांग्रेस कार्यकाल की लापरवाही बनी वजह?

बस्तीवासियों का यह भी आरोप है कि इस विभागीय आवंटन के पीछे कांग्रेस कार्यकाल में अधिकारियों की लापरवाही है। बिना स्थलीय निरीक्षण और बिना स्थानीय लोगों से बात किए, ज़मीन को विभागों को दे दिया गया, जिससे अब सैकड़ों गरीब परिवारों के सिर से छत छिन जाने का खतरा मंडरा रहा है।


📢 निवासियों की प्रमुख मांगें

  1. विभागीय अलॉटमेंट को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
  2. ज़मीन को फिर से आबादी क्षेत्र में दर्ज किया जाए।
  3. निवासियों को स्थायी पट्टे दिए जाएं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो।
  4. ज़मीन से संबंधित सभी रिकॉर्डों की पारदर्शी जांच हो।

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