🙏 धार्मिक आस्था के अपमान पर जनआक्रोश | सोशल मीडिया पर अपशब्दों की प्रतिक्रिया में थाने में नारेबाजी और गिरफ्तारी की मांग
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📱 इंस्टाग्राम पर देवी कालिका के खिलाफ अपशब्दों से फैला आक्रोश
रतलाम शहर एक बार फिर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले एक मामले से झकझोर उठा। शुक्रवार देर रात बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने औद्योगिक थाना का घेराव किया। यह विरोध उस समय भड़का जब इंस्टाग्राम पर देवी कालिका माता के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी सामने आई।
रेल नगर निवासी देवराजसिंह चौहान ने इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई। उनका कहना है कि उन्होंने ‘आज हम आगे’ नामक इंस्टाग्राम पेज पर एक रील देखी, जिस पर op-ayan-92 नाम की आईडी से कालिका माता पर आपत्तिजनक शब्द लिखे गए थे।
उन्होंने तुरंत स्क्रीनशॉट लेकर यह बात अन्य साथियों को बताई, जिससे मामला तूल पकड़ गया।
🛑 नारेबाजी और धरना: थाने पर दबाव
जानकारी मिलते ही बजरंग दल के विभाग संयोजक विनोद शर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता रात 10:45 बजे औद्योगिक थाना पहुंचे।
वहां उन्होंने:
- आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की
- जमीन पर बैठकर 1 घंटे तक नारेबाजी की
- जब तक एफआईआर नहीं हुई, थाने में ही धरना जारी रखा
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👮 आरोपी नाबालिग निकला, फिर भी पिता को बुलाने पर अड़े कार्यकर्ता
पुलिस जांच में सामने आया कि आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला युवक नाबालिग है। इस बात की सूचना मिलने पर भी कार्यकर्ता शांत नहीं हुए, बल्कि आरोपी के पिता को भी बुलाने की जिद करने लगे।
उनका कहना था:
“बच्चा क्या सीख रहा है, यह जानने की जिम्मेदारी मां-बाप की है।”
इस दौरान जिला सह संयोजक मन्नु कुशवाह, सेवा प्रमुख अनिल रोतेला, साप्ताहिक मिलन प्रमुख सुमन शर्मा सहित बड़ी संख्या में बजरंग दल कार्यकर्ता मौजूद रहे।
📝 FIR दर्ज, अभिरक्षा में आरोपी
रात 11:30 बजे पुलिस ने कार्रवाई करते हुए विवादित इंस्टाग्राम आईडी पर केस दर्ज किया।
हालांकि पुलिस ने अभी तक आरोपी की पहचान सार्वजनिक नहीं की, लेकिन सूत्रों के अनुसार उसे रात में ही अभिरक्षा में ले लिया गया है।
सीएसपी सत्येंद्र घनघोरिया स्वयं थाने पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाया कि कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद ही रात 11:45 बजे कार्यकर्ता शांत हुए।
🔍 सोशल मीडिया पर धार्मिक टिप्पणी: कहाँ खड़ी है क़ानून व्यवस्था?
यह घटना एक बार फिर सोशल मीडिया पर धार्मिक अपमान की गंभीरता को उजागर करती है। सवाल यह है कि:
- क्या प्लेटफॉर्म्स अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं?
- क्या साइबर पुलिस निगरानी में ढील दे रही है?
- और सबसे बड़ा सवाल, क्या इस प्रकार की घटनाओं पर त्वरित दंड की आवश्यकता नहीं है?
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🙏 निष्कर्ष: आस्था से खिलवाड़ नहीं सहेंगे
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक भावनाओं से छेड़छाड़ का समाज में तीव्र विरोध होता है। सोशल मीडिया की स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी ज़रूरी है।
सरकार और सोशल प्लेटफॉर्म्स को इस पर सख्त दिशा-निर्देश लागू करने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोहराए न जाएं।
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