निंबाहेड़ा में नवरात्रि के पावन अवसर पर निंबाड़ा मेल मंडल की महिलाओं ने ईमलेश्वर महादेव मंदिर होली थाड़ा से अम्बे माता शक्तिपीठ मंदिर तक 108 मीटर लंबी चुनरी यात्रा निकाली। इस दौरान सैकड़ों महिलाओं ने बैंड-बाजों की धुन पर नृत्य करते हुए माता के जयकारे लगाए। सभी महिलाएं चुनरी को एक सिरे से दूसरे सिरे तक थामे हुए भक्तिभाव से आगे बढ़ रही थीं।
नवरात्रि में चुनरी यात्रा का महत्व
नवरात्रि के दौरान माता रानी को चुनरी अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। लाल और गुलाबी रंग की चुनरी माता के सोलह श्रृंगार का प्रमुख हिस्सा होती है। मान्यता है कि माता रानी को चुनरी चढ़ाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
यात्रा की प्रमुख झलकियां
- यात्रा की शुरुआत ईमलेश्वर महादेव मंदिर से हुई।
- महिलाओं ने माता के भजन गाते हुए यात्रा में भाग लिया।
- मार्ग में भक्तों ने पुष्पवर्षा कर श्रद्धालुओं का स्वागत किया।
- अम्बे माता शक्तिपीठ मंदिर में चुनरी अर्पित की गई।
- अंत में माता की आरती और प्रसादी वितरण किया गया।
माता के प्रमुख रूप और उनकी महिमा
नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इनमें प्रमुख रूप से:
- शैलपुत्री – शक्ति और साहस का प्रतीक।
- ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की देवी।
- चंद्रघंटा – शक्ति और शांति का मेल।
- कूष्मांडा – सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली।
- स्कंदमाता – वात्सल्य और करुणा की देवी।
- कात्यायनी – शक्ति और पराक्रम की देवी।
- कालरात्रि – दुष्टों का नाश करने वाली।
- महागौरी – शांति और ज्ञान का प्रतीक।
- सिद्धिदात्री – सिद्धियों को प्रदान करने वाली।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नवरात्रि का पर्व शक्ति और भक्ति का संगम है। इस दौरान भव्य जागरण, गरबा, रामलीला और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। माता रानी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए भक्तजन उपवास रखते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।

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