चित्तौड़गढ़, राजस्थान — भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा द्वारा दलित समाज और कांग्रेस नेता टीकाराम जूली के खिलाफ दिए गए विवादास्पद बयान ने चित्तौड़गढ़ में सियासी हलचल मचा दी है। मंगलवार शाम को कांग्रेस कार्यकर्ताओं और दलित संगठनों ने मिलकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा पर जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया।
आहूजा के बयान से मचा बवाल
भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा ने एक प्रेस बयान में कहा था कि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का राम मंदिर में प्रवेश “अपवित्र” था, और उन्होंने मंदिर को “पवित्र” करने के लिए गंगाजल छिड़कने की बात कही। यह बयान जैसे ही सामने आया, कांग्रेस और दलित समुदाय में गंभीर रोष फैल गया।
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कांग्रेस का तीखा हमला
इस विवाद को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी चित्तौड़गढ़ ने तत्काल मोर्चा संभालते हुए प्रदर्शन का आह्वान किया। जिला अध्यक्ष भैरूलाल चौधरी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने शहर के प्रमुख चौराहों पर प्रदर्शन करते हुए भाजपा नेता का पुतला फूंका और आहूजा से माफी मांगने की मांग की।
🔴 “बीजेपी की मानसिकता दलित विरोधी है” — भैरूलाल चौधरी
प्रदर्शन के दौरान चौधरी ने कहा:
“ज्ञानदेव आहूजा का बयान न केवल दलित समाज का अपमान है, बल्कि यह भारत के संविधान और सामाजिक समरसता पर भी हमला है। भाजपा हमेशा से ही विभाजनकारी राजनीति करती रही है और यह बयान उसी नीति का हिस्सा है।”
माफ़ी और कानूनी कार्रवाई की मांग
कांग्रेस नेताओं ने मांग की कि भाजपा को तत्काल सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और आहूजा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
यदि भाजपा इस पर चुप रही, तो कांग्रेस ने राज्यभर में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
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दलित संगठनों का समर्थन
प्रदर्शन में कई दलित संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और उन्होंने इस बयान को दलितों की गरिमा के खिलाफ बताया।
“हमें मंदिरों में जाने से रोकना, हमारे नेताओं को अपवित्र कहना, यह निंदनीय ही नहीं, शर्मनाक है।” — एक दलित नेता ने कहा।
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शांति से हुआ विरोध, लेकिन आग उगलते तेवर
प्रदर्शन हालांकि शांति पूर्ण रहा, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे आंदोलन को राज्य स्तर पर फैलाएंगे।
सामाजिक समरसता पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता पर बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को सिर्फ सियासी नहीं, बल्कि सामाजिक सम्मान का विषय बताया है।
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निष्कर्ष: भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा का बयान केवल एक विवाद नहीं, बल्कि एक सोच और व्यवस्था पर सवाल है। कांग्रेस और दलित संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अब चुप नहीं बैठेंगे। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और ज्यादा गरमाने की संभावना है।