उदयपुर

सलूंबर बाइपास रोड पर गोवंश से भरी गाड़ियों को रोकने की कोशिश, माहौल गर्माया

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गोवंश परिवहन पर फिर गरमाया मुद्दा: हिंदू संगठनों की सक्रियता बढ़ी

राजस्थान के सलूंबर जिले में बीती रात एक बार फिर गोवंश तस्करी के संदेह ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। सलूंबर बाइपास रोड पर हिंदू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने गोवंश से भरी गाड़ियों को रोकने की कोशिश की। घटना देर रात करीब 10 बजे की बताई जा रही है, जब गाड़ियों का काफिला बांसवाड़ा रोड की ओर बढ़ रहा था। इसी दौरान गणेश मंदिर के पास पथराव की घटना भी हुई, जिससे एक वाहन के शीशे टूट गए और तनाव की स्थिति बन गई।

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पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा, की स्थिति को नियंत्रित

जैसे ही हालात बिगड़ने लगे, मौके पर पहुंचे सलूंबर एएसपी बनवारी लाल मीणा और चौकी प्रभारी मनोहर सिंह ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया। पुलिस ने जांच में बताया कि गाड़ियों में लदे गोवंश को मेले से खरीदा गया था और यह परिवहन कानूनी दस्तावेजों के साथ किया जा रहा था।

इसके बावजूद हिंदू जागरण मंच के शंकरलाल भोई और पार्षद धर्मेन्द्र शर्मा सहित कई कार्यकर्ता प्रशासन से नाराज़ दिखाई दिए, क्योंकि उनके अनुसार प्रशासन ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।


70 गाड़ियों के काफिले का दावा, मौके पर दिखीं 30

वायरल हुए एक वीडियो संदेश में 70 गाड़ियों का ज़िक्र किया गया था, लेकिन पुलिस को बाइपास पर करीब 30 गाड़ियाँ ही दिखाई दीं। इन गाड़ियों को पुलिस ने अलग-अलग जत्थों में सुरक्षा के साथ रवाना किया, ताकि माहौल को और बिगड़ने से रोका जा सके।


तस्करी का अंदेशा, कार्यकर्ताओं ने किया पीछा

इससे पहले, हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने गोवंश से भरी गाड़ियों के मूवमेंट को ट्रैक किया। उन्होंने उदयपुर से कीर की चौकी होते हुए बंबोरा और फिर सलूंबर बाइपास तक गाड़ियों का पीछा किया। बाइपास पर पहुंचते ही कार्यकर्ता बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए और गाड़ियों को रोकने की कोशिश की। मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्यकर्ताओं को समझाइश दी और विवाद को टालने की कोशिश की।

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सवाल उठाता है यह घटनाक्रम

  • क्या गोवंश तस्करी की आड़ में कानून का उल्लंघन हो रहा है?
  • क्या प्रशासन की भूमिका निष्पक्ष और प्रभावी है?
  • क्या नागरिकों को कानून अपने हाथ में लेना उचित है?

इन सवालों का जवाब समय के साथ मिलेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि गोवंश तस्करी का मुद्दा केवल धार्मिक भावनाओं तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह अब कानून व्यवस्था और सामाजिक समरसता का भी मामला बन चुका है।


निष्कर्ष

सलूंबर में घटित यह घटना यह दिखाती है कि गौ-तस्करी या गोवंश के परिवहन से जुड़े मुद्दे आज भी लोगों की भावनाओं को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ठोस और पारदर्शी व्यवस्था बनाए, ताकि न तो निर्दोषों को परेशानी हो और न ही तस्करी करने वालों को छूट।


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