मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार, प्रधान जिला न्यायाधीश कपिल मेहता ने शुक्रवार को गरोठ उप जेल का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का उद्देश्य बंदियों को मिल रही मूलभूत सुविधाएं, विधिक सहायता और मानवाधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन करना था।
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🧑⚖️ स्वच्छता, भोजन और विधिक सहायता का बारीकी से निरीक्षण
निरीक्षण के समय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और जेल अधीक्षक भी मौजूद रहे। न्यायाधीश ने जेल परिसर की स्वच्छता, बंदियों के निवास स्थान, शुद्ध पेयजल व्यवस्था, और भोजन की गुणवत्ता और पोषण स्तर का निरीक्षण किया।
बंदियों से सीधे संवाद:
- न्यायाधीश ने विचाराधीन बंदियों से बातचीत कर यह जाना कि क्या उन्हें निशुल्क विधिक सहायता मिल रही है।
- जहां आवश्यकता पाई गई, वहां तुरंत सहायता दिलाने के निर्देश दिए गए।
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⚖️ बंदियों के मानवाधिकारों की स्थिति की समीक्षा
निरीक्षण के दौरान निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया गया:
- मानवीय व्यवहार – बंदियों के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है।
- मौलिक अधिकार – क्या उन्हें उनके संवैधानिक अधिकार मिल रहे हैं।
- वृद्ध, दिव्यांग और बीमार बंदी – इनकी विशेष देखरेख और प्राथमिकता से सहायता देने के निर्देश।
- लीगल एड क्लिनिक – सभी बंदियों को जानकारी दी गई ताकि वे शिकायतें दर्ज करा सकें।
📢 न्यायाधीश का संदेश: जेल केवल दंड स्थल नहीं, सुधार केंद्र है
प्रधान जिला न्यायाधीश कपिल मेहता ने कहा:
“जेल केवल दंड का स्थान नहीं है, बल्कि यह सुधार और पुनर्वास का केंद्र है। विधिक सहायता का उद्देश्य यही है कि जो व्यक्ति समाज की मुख्यधारा से छूट गए हैं, उन्हें दोबारा जोड़ा जा सके।”
दिए गए प्रमुख निर्देश:
- न्यायिक प्रक्रिया की जानकारी समय-समय पर दी जाए।
- लीगल एड क्लिनिक को सक्रिय रखा जाए।
- किसी भी बंदी को विधिक सहायता से वंचित न रखा जाए।
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📝 यह विषय क्यों महत्वपूर्ण है?
- जेल सुधार प्रणाली को मजबूत करने के लिए ऐसे निरीक्षण आवश्यक हैं।
- यह सुनिश्चित करता है कि हर बंदी को न्याय मिले, चाहे उसकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
- विधिक सहायता तंत्र के प्रभाव को जमीनी स्तर पर लागू करने का यह बेहतरीन उदाहरण है।